जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत एक बड़ी सफलता मिली है। यहां एक नक्सल दंपति ने आत्मसमर्पण किया है, जिन पर कुल 7 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे “लोन वर्राटू” (घर वापस आइए) अभियान के तहत हुआ, जो कि भटके हुए माओवादियों को समाज की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली:
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली दंपति में पति भीमा उर्फ पवन माड़वी (28 वर्ष) और पत्नी विमला मड़काम (25 वर्ष) शामिल हैं। भीमा उर्फ पवन पिछले 10 वर्षों से मलांगेर एरिया कमेटी के सदस्य के रूप में सक्रिय था और उस पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। उसकी पत्नी विमला मड़काम प्लाटून नंबर 31 की सदस्या थी और उस पर 2 लाख रुपये का इनाम था। दोनों ने 13 अगस्त को डीआरजी कार्यालय दंतेवाड़ा में पुलिस अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
आत्मसमर्पण के दौरान पुलिस उप महानिरीक्षक दंतेवाड़ा रेंज कमलोचन कश्यप, पुलिस उप महानिरीक्षक (सीआरपीएफ) विकास कठेरिया, पुलिस अधीक्षक गौरव राय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्मृतिक राजनाला और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामकुमार बर्मन उपस्थित थे।
आत्मसमर्पण और पुनर्वास:
आत्मसमर्पित माओवादियों को छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत 25-25 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई। इसके अलावा, उन्हें अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी ताकि वे समाज की मुख्यधारा में वापस आ सकें।
“लोन वर्राटू” अभियान की सफलता:
इस अभियान के तहत अब तक 193 इनामी माओवादियों सहित कुल 861 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह अभियान उन नक्सलियों के बीच भी प्रभावी साबित हो रहा है जो माओवादी विचारधारा से तंग आ चुके हैं और समाज के साथ वापस जुड़ना चाहते हैं।
दंतेवाड़ा में इस सफल आत्मसमर्पण से एक बार फिर नक्सल उन्मूलन अभियान को बल मिला है, और प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में और भी माओवादी समाज की मुख्यधारा में लौट आएंगे।