नवरात्रि नवमी 11 या 12 अक्टूबर कब, जानें सही तारीख और कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

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नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। लेकिन, इस बार तिथियों को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन बना हुआ है। दरअसल, नवरात्रि के आरंभ से ही एक ही दिन में दो तिथियां लग रही हैं। ऐसे में नवरात्रि की नवमी तिथि के लेकर भी लोग कंफ्यूज है कि नवमी में कन्या पूजन किस दिन किया जाएगा 11 या 12 अक्टूबर। बता दें की मां दुर्गा के भक्त नवमी में कन्या पूजन के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं। आइए जानते हैं कन्या पूजन 11 या 12 अक्टूबर कब करना शुभ रहेगा

अष्टमी 2024 का कन्या पूजन करे?

वैसे तो कन्या पूजन नवमी तिथि के दिन करके भक्तजन अपना उपवास खोलते हैं लेकिन, कई लोग महाअष्टमी के दिन ही कन्या पूजन करते हैं। बता दें कि अष्टमी तिथि का आरंभ 10 अक्टूबर को दोपहर में 12 बजकर 32 मिनट पर होगा। जबकि नवमी तिथि का आरंभ 11 अक्टूबर को 12 बजकर 7 मिनट से होगा। ऐसे में जो लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना चाहते हैं वह 11 अक्टूबर को दोपहर में 12 बजकर 7 मिनट से पहले पहले कर लें तो शुभ रहेगा।

नवमी 2024 का कन्या पूजन कब करें?

नवमी तिथि का आरंभ 11 अक्टूबर को 12 बजकर 7 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 12 अक्टूबर को नवमी तिथि सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगी। ऐसे में नवमी तिथि का कन्या पूजन 12 अक्टूबर को आप 10 बजकर 59 मिनट से पहले पहले कर सकते हैं। इसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी। इसलिए उस समय किया गया कन्या पूजन मान्य नहीं होगा।

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

11 अक्टूबर को महा अष्टमी के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह लाभ चौघड़िया में 7 बजकर 46 मिनट से 10 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसलिए अष्टमी तिथि का कन्या पूजन इस मुहूर्त में करना शुभ रहेगा।

12 अक्टूबर को जो लोग नवमी तिथि का कन्या पूजन करेंगे। वह 12 अक्टूबर शनिवार के दिन शुभ चौघड़िया में सुबह 7 बजकर 50 मिनट से 9 बजकर 14 मिनट तक कन्या पूजन कर सकते हैं।

कन्या पूजन की विधि

कन्या पूजन से एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण देकर आएं। फिर जब वह आपके घर आएं तो उनका आदर सत्कार के साथ स्वागत करें।

सबसे पहले साफ जल से उनके पैर स्वच्छ करें। फिर उनके पैर साफ कपड़े से पोंछ दें। पैर छूकर आशीर्वाद लें। कन्याओं के पैर छूने से पापों का नाश होता है।

इसके बाद सभी कन्याओं का लाल रंग का आसन पर बैठाएं। इसके बाद उन्हें कुमकुम से तिलक करें और सभी को कलावा बांधे।

इसके बाद कन्याओं को हलवा, काले चने और पूरी का भोग लगाएं। कन्याओं का संख्या कम से कम 9 होनी चाहिए। बाकी आप अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्या पूजन कर सकते हैं। इसके बाद कन्याओं को भोजन कराने के बाद दक्षिणा जरुर दें। अंत में जाते समय कन्याओं के हाथ में कुछ अक्षत दें और फिर मां दुर्गा के नाम के जयकारा लगाते हुए कन्याओं से वह अक्षत आपके ऊपर डालने के लिए कहें। अंत में सभी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और हंसी खुशी से कन्याओं के विदा करें।

कितने साल की कन्या का पूजन करना शुभ माना जाता है

शास्त्रों के अनुसार, 2 से 9 साल तक की कन्याओं का पूजन करना शुभ माना जाता है। 2 से 9 साल तक सभी कन्याओं का अलग अलग महत्व है इस प्रकार है।

2 वर्ष की कन्या को कौमारी कहते हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति को दुख और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है।

3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है। उन वर्ष की कन्या का पूजन करने से परिवार का कल्याण होता है।

4 वर्ष की कन्या को कल्याणी कहते हैं। इनके पूजन से सुख समृद्धि बनी रहती है।

5 वर्ष की कन्या को रोहिणी कहते हैं इनका पूजन करने से व्यक्ति को सभी रोग खत्म होते हैं।

6 वर्ष की कन्या को कालिका कहते हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति का ज्ञान बढ़ता है।

7 वर्ष की कन्या को चंडिका कहते हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति को ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

8 वर्ष की कन्या को शांभवी कहते हैं। इनका पूजन करने से व्यक्ति की लोकप्रियता बढ़ती है।

9 वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का ही स्वपुर माना जाता है। इनका पूजन करने से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

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