सुशासन दिवस पर विशेष लेख: अच्छे शासन की ओर एक कदम

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आज, 25 दिसंबर, को पूरे देश में सुशासन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। यह दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। सुशासन दिवस का उद्देश्य शासन प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही, और नागरिकों के कल्याण को प्राथमिकता देना है।

सुशासन का महत्व

सुशासन का अर्थ है ऐसी शासन प्रणाली, जो नागरिकों के अधिकारों और उनकी आवश्यकताओं को केंद्र में रखकर काम करे। इसमें भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन, कानून का पालन, और हर नागरिक को समान अवसर प्रदान करना शामिल है। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक की भागीदारी से ही इसे संभव बनाया जा सकता है।

अटल बिहारी वाजपेयी: सुशासन के प्रेरणास्रोत

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में सुशासन को एक नई दिशा दी। उनके नेतृत्व में भारत ने विकास के कई महत्वपूर्ण पड़ाव पार किए। उन्होंने न केवल राजनीतिक स्थिरता लाई, बल्कि देश में आर्थिक सुधार, बुनियादी ढांचे का विकास, और विदेश नीति में मजबूती को भी प्राथमिकता दी।

आज के संदर्भ में सुशासन

आज सुशासन का अर्थ केवल सरकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन तक सीमित नहीं है। डिजिटल युग में यह तकनीकी माध्यमों के उपयोग से नागरिकों तक सेवाओं को तेजी से पहुंचाने और सूचना का अधिकार सुनिश्चित करने का भी प्रतीक बन गया है।

सुशासन दिवस का संदेश

इस दिन का मुख्य संदेश है कि सभी नागरिक और सरकारी संस्थाएं मिलकर देश में पारदर्शिता और न्यायसंगत व्यवस्था को बढ़ावा दें। यह न केवल हमारे लोकतंत्र को मजबूत बनाएगा, बल्कि समाज में समानता और समृद्धि भी लाएगा।

निष्कर्ष
सुशासन दिवस हमें याद दिलाता है कि एक मजबूत और विकसित भारत का सपना तभी साकार हो सकता है, जब हर नागरिक और सरकार अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी और निष्ठा से निभाए।

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