नई दिल्ली– गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई द्वारा जेल से दिए गए इंटरव्यू के मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब पुलिस की जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि इस इंटरव्यू से पुलिस और गैंगस्टर के बीच संभावित सांठगांठ का संकेत मिलता है, जिससे संदेह बढ़ गया है। अदालत ने लॉरेंस बिश्नोई के 2023 में बठिंडा जेल में रहते हुए एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू की नए सिरे से जांच के आदेश दिए हैं।
अदालत की गंभीर टिप्पणियाँ:
अदालत ने पंजाब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा, “पुलिस ने एक अपराधी को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग की अनुमति दी और स्टूडियो जैसी सुविधाएं प्रदान कीं, जिससे अपराध का महिमामंडन हुआ। इससे अपराधी के प्रभाव में वृद्धि हुई और उसके जबरन वसूली जैसे अन्य आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।”
उच्च अधिकारियों की संलिप्तता पर अदालत की नाराज़गी
हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार के नेतृत्व वाली भगवंत मान सरकार को भी इस मामले में फटकार लगाई। न्यायमूर्ति अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और लपिता बनर्जी की पीठ ने निचले स्तर के अधिकारियों को बलि का बकरा बनाए जाने की बात कही। उन्होंने उल्लेख किया कि निलंबित अधिकारियों में केवल दो राजपत्रित अधिकारी थे, जबकि बाकी जूनियर कर्मचारी थे।
मामले में भ्रष्टाचार के संकेत
सुनवाई के दौरान पीठ ने पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से अपराधियों से रिश्वत लेने के संकेतों की भी ओर इशारा किया। अदालत ने इसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में रखा और कहा कि मामले की गहराई से जांच की आवश्यकता है।
निलंबन और वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका
इस मामले में हाल ही में पंजाब पुलिस ने दो उप-अधीक्षक रैंक के अधिकारियों सहित 7 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। हालांकि, अदालत ने पंजाब केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) के पूर्व प्रभारी शिव कुमार की भूमिका पर भी संदेह व्यक्त किया। अदालत ने बार-बार बिश्नोई को पूछताछ के लिए खरड़ CIA में स्थानांतरित किए जाने के पीछे की वजह पर सवाल उठाया और राज्य से इस संबंध में अतिरिक्त हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया।
डीजीपी के बयान पर सवाल
अदालत ने डीजीपी के बयान पर भी आपत्ति जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि पंजाब की जेल में कोई साक्षात्कार नहीं हुआ। अदालत ने सवाल किया कि क्यों इस मामले में आपराधिक साजिश अधिनियम की धारा 120-बी के तहत कार्यवाही नहीं की गई।
इस घटनाक्रम के बाद विशेष पुलिस महानिदेशक (मानवाधिकार) के नेतृत्व में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने यह स्वीकार किया है कि बिश्नोई का एक इंटरव्यू खरड़ में हिरासत के दौरान हुआ था, जबकि एक अन्य इंटरव्यू राजस्थान में हुआ था। इन खुलासों के बाद, सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
संक्षेप में, पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने इस मामले में कड़े तेवर अपनाए हैं और पंजाब पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। अदालत ने इस मामले में पारदर्शिता लाने और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए नए आदेश दिए हैं।