तेज आवाज में डीजे बजने से लोगों तक नहीं पहुंची मासूमों की चीख, मदद में हुई देरी

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शाहपुर में रविवार को शिवलिंग निर्माण के दौरान दीवार गिरने से हुई नौ बच्चों की मौत के मामले में ध्वनि नियंत्रण अधिनियम का भी पालन नहीं किया गया। दीवार गिरने का हादसा हुआ तब मौके पर तेज आवाज में डीजे बजाया जा रहा है। हादसे के बाद बच्चों के चीख-पुकार की आवाज भी डीजे की तेज आवाज में दब गई। इससे बच्चों को समय रहते मदद नहीं मिल सकी।

लोगों का कहना है कि सुबह जैसे ही मंदिर समिति ने डीजे बजवाया, वैसे ही मकान का हिस्सा गिर पड़ा। हादसा की एक वजह डीजे की तेज आवाज भी थी। इससे जर्जर दीवार हिलने लगी और गिर गई।

पार्षद राजा यादव के मुताबिक, दीवार कच्ची व बहुत पुरानी थी। लगातार पानी गिरने से यह कमजोर हो गई थी। वहीं डीजे सिस्टम की तेज आवाज की वजह से और कंपन बढ़ने से यह दीवार गिर गई। लोगों के मुताबिक, कच्चा मकान बांस और बल्ली पर टिका था, जो धीरे-धीरे कमजोर हो रहा था। वर्षा व डीजे की तेज आवाज से जब दीवार गिरी तो बच्चे चीखने-पुकारने लगे, लेकिन बाहर तक यह आवाज नहीं पहुंच सकी।

बुजुर्ग ने सबसे पहले दी दीवार गिरने की सूचना

मौके पर मौजूद 65 वर्षीय किशोरी लाल विश्वकर्मा भी चोटिल हो गए थे। वह जब बाहर आए, तब अन्य लोगों को हादसे की सूचना लगी और बचाव कार्य शुरू हो सका। जिला अस्पताल में भर्ती किशोरी लाल विश्वकर्मा का कहना है कि स्वयं चोटिल होने के बाद भी वह स्वयं को संभालते हुए बाहर आए और लोगों को सूचना दी, तब कहीं बच्चों को दीवार के मलबे से निकालने का काम शुरू हुआ।

वहीं एडवोकेट जगमोहन सिंह लोधी का कहना है कि आयोजन स्थल पर सुबह पांच बजे से ही तेज आवाज में डीजे शुरू हो जाता था। यह डीजे देर रात तक बजता था। यदि मानक ध्वनि में इसे बजाया जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती।

 

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