बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान : स्कूली छात्रों को किया गया जागरूक

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महासमुंद- कलेक्टर विनय कुमार लगेह के निर्देशन में व समीर पांडेय जिला कार्यक्रम अधिकारी महासमुंद के मार्गदर्शन में 25 नवम्बर से 10 दिसंबर तक लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने के लिए जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कार्ययोजना अनुसार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

इसी कड़ी में सोमवार को महासमुंद की परियोजना समन्यवक राजेश्वरी साव द्वारा उपस्थित स्कूली छात्र/छात्राओं को चाईल्ड हेल्प लाईन 1098 की सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए स्पॉन्सर शिप योजना के बारे में उपस्थित गांव की महिलाओं व गांव गांव के नागरिको को विस्तार से जानकारी दिया गया तथा पोषण आहार के बारे में बताया गया।

तत्पश्चात खिलेश्वरी चक्रधारी जिला मिशन समन्वयक के द्वारा हाड़ाबंद के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय के स्कूली छात्र/छात्राओं को बाल संरक्षण के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि मुख्यमंत्री द्वारा 10 मार्च को “बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” का शुभारंभ किया गया था।

उक्त बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के प्रभावी रोकथाम हेतु जिले में लगातार जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 2बी के अनुसार ऐसा विवाह जिसमें वर (जिसकी आयु 21 वर्ष से कम) तथा वधु (जिसकी आयु 18 वर्ष से कम) अवयस्क या बच्चे हो, तब उसे बाल विवाह माना जाएगा।

बाल-विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है जिसके सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या प्रेम प्रसंग कारण हो सकते हैं, जिन्हें विमर्श में लेकर उन कारणों को पूर्णतः समाप्त कर एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया जाना आवश्यक है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों और उनके विकास को प्रभावित करता है। यह विकास को बाधित करने वाली गंभीर समस्या है जिसके पूर्ण रोकथाम हेतु सामाजिक, कानूनी और आर्थिक स्तर पर लोगों को जागरूक करना एवं इस कुप्रथा से होने वाले दुष्परिणामों को जन-जन को समझाना महत्वपूर्ण है, ताकि इसे प्रभावी तरीके से रोका जा सके और बच्चों का सर्वांगीण विकास कर उन्हें पूर्णतः सुरक्षित रखा जा सके।

18 वर्ष से अधिक आयु का पुरूष, यदि 18 वर्ष से कम आयु की किसी महिला से विवाह करता है तो उसे 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपय तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। कोई व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, करता है अथवा असमें सहायता करता है उसे 2 वर्ष तक का कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

कोई व्यक्ति जो बाल विवाह को बढ़ावा देता है अथवा उसकी अनुमति देता है, बाल विवाह में सम्मलित होता है उसे 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। किसी भी महिला को कारावास का दण्ड नही दिया जा सकता है। बाल विवाह के रोकथाम हेतु समस्त छात्र/छात्राओं को जागरूक किया गया एवं बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम हेतु शपथ भी दिलाई गयी।

जिला एवं बाल संरक्षण अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग के खेमराज चौधरी ने भी जानकारी दी। तत्पश्चात श्रीमती कीर्ति यदु, केश वर्कर, सखी वन स्टॉप सेंटर के द्वारा वन स्टॉप सेंटर की सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में विक्रमसिंग सिंदर एवं श्रीमती डीगेश्वरी साहू (जेंडर विशेषज्ञ), कुलेश्वर राम ध्रुव एवं श्रीमती चित्रलेखा साहू (वित्तीय साक्षरता एवं समन्वयक विशेषज्ञ), सुनीता देशमुख, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, महिला स्व सहायता समूह, समस्त विद्यार्थियों एवं शिक्षकगणों का विशेष योगदान रहा।

इसी तरह मंगलवार को देव संस्कृति उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महासमुंद में जिला महिला सशक्तिकरण केंद्र अंतर्गत 10 दिसम्बर मानव अधिकार दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर उपस्थित छात्र/छात्राओं को मानव अधिकार दिवस की शपथ दिलाई गई।

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