भारतीय संविधान दिवस: लोकतंत्र का उत्सव

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भारतीय संविधान दिवस: लोकतंत्र का उत्सव

Indian Constitution Day

26 नवंबर का दिन भारत के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। इसे हम संविधान दिवस या संविधान स्वीकृति दिवस के रूप में मनाते हैं। 1949 में इसी दिन भारतीय संविधान सभा ने देश के संविधान को अपनाया था। हालांकि, यह संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, लेकिन 26 नवंबर को इसकी स्वीकृति भारत के लोकतांत्रिक इतिहास की एक बड़ी उपलब्धि थी।

भारतीय संविधान: एक परिचय

भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसमें 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं (जो अब बढ़कर 12 हो गई हैं)। इसे डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली ड्राफ्टिंग कमेटी ने तैयार किया। इसे बनाने में करीब 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा। यह संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित करता है।

संविधान दिवस की शुरुआत

संविधान दिवस को पहली बार 2015 में आधिकारिक तौर पर मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को भारतीय लोकतंत्र और संविधान के महत्व को रेखांकित करने के लिए चुना। यह दिन डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती वर्ष के तहत विशेष रूप से मनाया गया था। संविधान दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना और संविधान की महत्ता का सम्मान करना है।

संविधान दिवस का महत्व

भारतीय संविधान न केवल हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह हर नागरिक को समानता, स्वतंत्रता और न्याय सुनिश्चित करता है। यह देश की विविधता में एकता को मजबूत करने का सबसे सशक्त माध्यम है। संविधान दिवस हमें याद दिलाता है कि भारत का लोकतंत्र हर नागरिक की भागीदारी और समर्पण पर आधारित है।

इस दिन के प्रमुख आयोजन

संविधान दिवस के अवसर पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों, कॉलेजों, और सरकारी संस्थानों में संविधान की उद्देशिका का पाठ किया जाता है। साथ ही, विशेष चर्चाएं, सेमिनार और प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं ताकि युवा पीढ़ी संविधान की मूल भावना को समझ सके।

संविधान: हर नागरिक की जिम्मेदारी

संविधान दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए आत्ममंथन का दिन है। हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। संविधान की रक्षा और सम्मान करना हमारा नैतिक और सामाजिक दायित्व है।

निष्कर्ष

संविधान दिवस भारत के लोकतंत्र, समानता और न्याय के मूल्यों का उत्सव है। यह दिन हमें उन महान नेताओं और विचारकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है जिन्होंने हमारे अधिकारों और स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए एक सशक्त संविधान की नींव रखी। आइए, इस दिन संविधान के प्रति अपनी निष्ठा को और मजबूत करें और एक प्रगतिशील और समावेशी भारत के निर्माण में योगदान दें।

“संविधान हमारा मार्गदर्शक है, इसे आत्मसात करना हमारा धर्म है।”

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