भिलाई– केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को भ्रष्टाचार के एक मामले में भिलाई स्थित इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड (ईपीआईएल) के तत्कालीन उप महाप्रबंधक (डीजीएम) और एक निजी कंपनी के साझीदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने एक बड़े अनुबंध में जालसाजी और भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है।
छापेमारी की कार्रवाई:
सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के बिजनौर और छत्तीसगढ़ के भिलाई में दोनों आरोपियों के आधिकारिक और आवासीय परिसरों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी भ्रष्टाचार और जालसाजी के आरोपों के संबंध में की जा रही है। जांच एजेंसी ने इन परिसरों से महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत जब्त किए हैं।
मामला क्या है:
भिलाई इस्पात संयंत्र और ईपीआईएल ने 30 अप्रैल 2010 को भिलाई इस्पात संयंत्र में नए ओएचपी और कच्चे माल की प्राप्ति एवं हैंडलिंग सुविधाओं के विस्तार के लिए 5,50,82,27,000 रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इस परियोजना के तहत ईपीआईएल ने विभिन्न सिविल निर्माण कार्यों के लिए निविदाएं जारी की थीं। आरोप है कि एक निजी कंपनी के साझीदार ने जाली दस्तावेजों और चालानों के जरिए 84,05,880 रुपये का अनुचित लाभ प्राप्त किया और ईपीआईएल को इस प्रकार भारी नुकसान पहुंचाया।
जाली दस्तावेजों का उपयोग:
आरोप है कि आरोपी साझीदार ने जाली गेट मटेरियल एंट्री चालान (फॉर्म सीआईएसएफ-157) और स्टोर इशूड स्लिप के माध्यम से गलत बिलिंग की, जिसे ईपीआईएल के तत्कालीन उप महाप्रबंधक द्वारा सत्यापित किया गया था। इन जाली दस्तावेजों के आधार पर सुदृढ़ीकरण स्टील की आपूर्ति और स्थापना की दर 70,000 रुपये प्रति टन तय की गई थी, जिसके जरिए आरोपी ने गलत तरीके से वित्तीय लाभ अर्जित किया।
सीबीआई की कार्रवाई जारी:
सीबीआई द्वारा मामले की गहनता से जांच की जा रही है, और आगे भी कुछ और अधिकारियों की संलिप्तता उजागर हो सकती है। फिलहाल, छापेमारी के दौरान मिले सबूतों का विश्लेषण किया जा रहा है, जिससे जांच में और भी महत्वपूर्ण खुलासे होने की उम्मीद है।
इस मामले में सीबीआई की कार्रवाई भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और सरकारी अनुबंधों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।