छत्तीसगढ़ राज्य में आवारा कुत्तों और गाय को रोड पर होने के कारण पेश किए गए जनहित याचिका की सुनवाई 8 जुलाई 2024 को की गई. इस याचिका में चिरमिरी निवासी राजकुमार मिश्रा हस्तक्षेप याचिकाकर्ता है दूसरे अन्य अधिवक्ताओं के साथ हस्तक्षेप याचिकाकर्ता राजकुमार मिश्रा को भी व्यक्तिगत रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुना गया।
आवारा पशुओं के निराकरण और व्यवस्थित किये जाने के संबंध में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल के न्यायालय में सुनवाई हुई. इस सुनवाई में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति पशुओं के सडक़ पर होने उनके कारण दुर्घटनाएं होने, जिससे पशुओं का मृत्यु होना और वाहन चालकों का मृत्यु और दूसरे अन्य तरह से चोटिल होने के संबंध में बड़े चिंतित नजर आए. उनके बातों में स्थाई रूप से कुछ न कर पाने की पीड़ा साफ दिखाई दे रहा था।
बता दें कि मुख्य न्यायमूर्ति के न्यायालय से आवारा पशुओं के संबंध में पूर्व में कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश एवं आदेश जारी किए गए हैं यथासंभव राज्य सरकार इसका पालन भी कर रही है किंतु यह समस्या आम जनता के सहयोग के बिना पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. उन्होंने अपने आदेश में इस सुनवाई के पूर्व ही 7 जुलाई 2024 को टाइम्स आफ इंडिया में छपे 15 गाय की मृत्यु और तीन लोगों के दुर्घटनाग्रस्त होने का उल्लेख किया है.
8 जुलाई 2024 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्याय मूर्ति के अगुवाई वाली खंडपीठ से इस प्रकार आदेश पारित किया गया है. इस न्यायालय द्वारा पारित 09.04.2024 के आदेश के अनुपालन में, राज्य ने 04.07.2024 को एक हलफनामा दायर किया है, जिसकी पुष्टि अधीक्षण अभियंता, पीडब्ल्यूडी, एनएच सर्कल, जिला-बिलासपुर द्वारा की गई है, जिसे तत्काल संदर्भ के लिए नीचे उद्धृत किया गया है।
छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव द्वारा 27.06.2024 को एक संयुक्त बैठक बुलाई गई थी, जिसमें सचिव, लोक निर्माण विभाग, सचिव, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, संचालक, पशुपालन, अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग के प्रतिनिधि, प्रमुख सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नवा रायपुर विकास प्राधिकरण तथा कलेक्टर, रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ एवं कोरबा उपस्थित थे।
बैठक में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य राजमार्ग पर आवारा पशुओं की समस्या, दुर्घटनाओं को रोकने एवं सडक़ों पर आवारा पशुओं को नियंत्रित करने के उपायों पर चर्चा की गई। सडक़ों पर आवारा पशुओं की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राज्य की महत्वपूर्ण सडक़ों को विभिन्न खंडों में विभाजित किया गया है. 27.06.2024 की बैठक में सडक़ों पर आवारा पशुओं की समस्या को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने, सडक़ों के खंडों के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने तथा मानक संचालन प्रक्रिया जारी करने पर जोर दिया गया।
सडक़ों पर आवारा पशुओं को नियंत्रित करने के लिए राज्य में सडक़ों के 7 खंड चिह्नित किए गए हैं तथा प्रत्येक सडक़ खंड के लिए कार्य पर चर्चा की गई है. यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि आवारा पशुओं को हटाने के लिए सडक़ों का निरंतर निरीक्षण एवं निगरानी की जाएगी तथा प्रत्येक विभाग को अपनी मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने तथा आवारा पशुओं की संख्या को न्यूनतम करने के लिए उक्त मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।
उक्त हलफनामे के अवलोकन से हम पाते हैं कि यद्यपि आवारा पशुओं की समस्या को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं, तथा इस समस्या को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। यद्यपि इस न्यायालय द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न शहरों के राजमार्गों और सडक़ों पर आवारा पशुओं के बैठने/आने की समस्या को रोकने के लिए नियमित अंतराल पर आदेश पारित किए गए हैं और संबंधित हितधारकों द्वारा प्रयास भी किए गए हैं, लेकिन हाल ही में, 7 जुलाई, 2024 को प्रकाशित समाचार में देखा गया है कि तिल्दा ब्लॉक के किरना क्षेत्र में अज्ञात वाहन द्वारा दुर्घटना में 15 गायों की मौत हो गई और 3 घायल हो गईं और ग्रामीणों ने सडक़ को अवरुद्ध कर दिया।
याचिकाकर्ता के एक वकील द्वारा उक्त समाचार क्लिपिंग इस न्यायालय के समक्ष पेश की गई. इसके अलावा यह भी देखा गया है कि बारिश के मौसम के कारण आवारा गायें सडक़ों और राजमार्गों पर बैठी रहती हैं और पशुओं के साथ-साथ सडक़ों पर जाने वाले मनुष्यों की मृत्यु को रोकने के लिए हितधारकों द्वारा जो कदम उठाए गए हैं, वे अधिक प्रभावी नहीं पाए हैं. इसे देखते हुए, यह निर्देश दिया जाता है कि राज्य के मुख्य सचिव पूरे राज्य के जिलों के सभी हितधारकों को आवश्यक और प्रभावी आदेश जारी करेंगे, जिसमें राज्य/जिला प्रशासन के अधिकारी और नगर निगम के अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
नगर पालिका निगम के आयुक्तों और राजमार्गों और सडक़ों के निकटवर्ती गांवों की ग्राम पंचायतों को निर्देश दिया गया है कि वे सडक़ों और राजमार्गों पर आवारा पशुओं के आने के खतरे को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं, जो सडक़ पर चलते वाहनों के कारण मौत का सामना भी करते हैं और सडक़ पर बैठे पशुओं के कारण दुर्घटनाएं भी होती हैं और मानव जीवन को भी नुकसान होता है, ऐसा न करने पर उन हितधारकों की जवाबदेही तय की जाएगी जिनके क्षेत्र में ऐसी दुर्घटना/घटना होती है और कानूनी परिणाम भी भुगतने होंगे उपरोक्त के मद्देनजर मामले को 5 अगस्त, 2024 को फिर से सूचीबद्ध किया जाए।