मानवता शर्मसार: प्रसव के बाद अस्पताल ने महिला को बनाया बंधक, पति ने बच्चे को बेच कर छुड़ाया पत्नी, पुलिस को भी दिए 5 हजार

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उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. प्रसव पीड़ा के दौरान एक महिला को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था, जहां उसने बेटे को जन्म दिया. इसके बाद हॉस्पिटल ने बिल बनाया. जिसे महिला का पति चुका नहीं सका तो उसने अपने दूसरे बेटे की कीमत लगा दी और कथित तौर पर 20 हजार रुपये मे बेच दिया. इसके बाद हॉस्पिटल से महिला को छुड़ाया जा सका. घटना में पुलिस पर भी पांच हजार रुपए वसूलने का आरोप है. वहीं, अस्पताल से छूटने के बाद पत्नी लक्ष्मीना ने जब अपने बच्चे के बारे में पूछा तो पूरे मामले का खुलासा हुआ.

बरवापट्टी थाना क्षेत्र के दशहवां गांव के भेड़ीहारी पट्टी निवासी महेश पटेल ने अपनी पत्नी लक्ष्मीना को प्रसव हेतु नजदीकी एक डॉक्टर द्वारा संचालित खुशी क्लीनिक में भर्ती कराया था. बच्चे को जन्म देने के बाद अस्पताल द्वारा पैसे की मांग की गई, लेकिन चार हजार रुपए कम होने के चलते अस्पताल ने महिला को बंधक बना लिया. जिसके बाद महिला का पति हरेश चार हजार रुपए की व्यवस्था करने के लिए निकल गया.

20 हजार रुपए में बेचा बेटा

जब पैसे की व्यवस्था नहीं हो पाई तो उसने आखिर में आरोपी पिता ने अपने दो साल बेटे को ही बेचने का निर्णय लिया. पिता ने अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए अपने बेटे को बीस हजार रुपए में बेच दिया और फिर उसके बाद चार हजार रुपए अस्पताल में जमा करके अपनी पत्नी को छुड़ा लाया. हरेश पटेल के अनुसार पुलिस द्वारा भी उससे पैसे के डिमांड की गई. जिस पर उसने पुलिस को पांच हजार रुपए भी दिए.

अस्पताल से छूटने के बाद जब लक्ष्मीना घर पहुंची तो उसने पति से अपने दो साल के बेटे के बार में पूछा. इसके बाद हरेश ने अपनी पत्नी को पूरे मामले के बारे बताया. बेटे के बेचने की बात को सुनते ही मां का कलेजा फट गया और मां दहाड़ मार कर रोने लगी. जिसके बाद घटना की जानकारी पूरे इलाके के लोगों को लग गई. पुलिस के पैसे लेने की बात का पता चलते ही पुलिस अधीक्षक ने आरोपी पुलिसकर्मी को लाइन हाजिर कर दिया है. वहीं, पुलिस ने बेचे गए बच्चे को मां को सौंप दिया गया है.

पुलिस मामले में अस्पताल संचालक और बच्चे को बिचवाने वाले बिचौलिए पर कार्यवाही करने की बात कह रही है, लेकिन सवाल यह है कि मरीज को बंधक बना लेना कहां तक जायज है और कब तक ऐसे अस्पताल गांव में गरीबों को लूटते रहेंगे.

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