केजरीवाल की अंतरिम जमानत अपवाद नहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सिंघवी ने याद दिलाई शाह की टिप्पणी

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दिए जाने पर चल रही राजनीतिक चर्चा को विराम देते हुए गुरुवार को कहा कि उन्हें अंतरिम जमानत कोई अपवाद नहीं है। कोर्ट ने जो महसूस किया, वह आदेश में कहा है।

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि आदेश के आलोचनात्मक विश्लेषण का स्वागत है। इसके साथ ही कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर बाहर आने के बाद केजरीवाल द्वारा दिए गए बयान पर ईडी की आपत्ति दरकिनार कर दी। कोर्ट ने कहा कि वह इसमें नहीं पड़ेगा।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से उनके बयान पर आपत्ति जताए जाने पर गुरुवार को ये टिप्पणियां कीं।गुरुवार की सुबह जब पीठ मामले पर सुनवाई के लिए बैठी तो ईडी की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अंतरिम जमानत पर बाहर आने के बाद अरविंद केजरीवाल द्वारा दिए गए बयान का जिक्र करते हुए उस पर आपत्ति जताई।

मेहता ने कहा कि केजरीवाल ने चुनावी रैली में कहा है कि अगर लोग आम आदमी पार्टी को वोट देंगे तो उन्हें दो जून को वापस जेल नहीं जाना पड़ेगा। मेहता ने कहा कि वह क्या कहना चाह रहे हैं।यह बयान संस्था के मुंह पर तमाचा है। वह ऐसा कैसे कह सकते हैं।

पीठ ने मेहता की आपत्ति पर कहा कि यह केजरीवाल की धारणा है, लेकिन कोर्ट का आदेश स्पष्ट है कि उन्हें कब समर्पण करना है। यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है और कानून का शासन इससे संचालित होगा।तभी केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नाम लिए बगैर एक साक्षात्कार का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कई लोग मानते हैं कि कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को विशेष ट्रीटमेंट दिया है।पीठ ने कहा कि वह इस पर ध्यान नहीं देते।

उन्होंने किसी के लिए कोई अपवाद नहीं बनाया है। जो उचित लगा वह आदेश में कहा। पीठ ने कहा कि फैसले के आलोचनात्मक विश्लेषण का स्वागत है। सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल के बयान को लेकर तुषार मेहता द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया और कहा कि वह इस संबंध में हलफनामा दाखिल कर सकते हैं।

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