माँ ने जेवर गिरवी रखकर दी परीक्षा फीस, बेटे ने 10 वी बोर्ड में 96.33 % लाकर किया गांव का नाम रोशन

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अगर रास्ता खूबसूरत है तो ,पता कीजिए किस मंजिल की तरफ जाता है। लेकिन अगर मंजिल खूबसूरत हो तो, कभी रास्ते की परवाह मत कीजिए। मेहनत का फल और समस्या का हल देर से ही सही मिलता जरूर है। इसी भावना के साथ मां ने अपने सुपुत्र के शिक्षा को जारी रखने के लिए अपने पास रखें कुछ जेवर को महज 13 सौ रुपए के लिए गिरवी रख कर अपने पुत्र की बोर्ड परीक्षा की फीस अदा की।

आज लाडले बेटे ने गरीबी को भी मात देते हुए बोर्ड परीक्षा में सरिया क्षेत्र में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त किया है। जिसके कारण सारंगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर के एल चौहान एवं हरिशंकर चौहान सीईओ सारंगढ़ ने उक्त लाडले मेधावी छात्र मनीष चौहान को बधाई संदेश भेज कर उज्जवल भविष्य की कामना की है।

शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल सरिया जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ के ग्रामीण छात्र मनीष चौहान ग्राम छोटे नवापारा के निवासी हैं। वह घर के हालात को ध्यान में रखते हुए कभी भी शिक्षा से दूरी नहीं बनाई बल्कि, संघर्ष करते हुए आगे बढ़ने का लक्ष्य रखा। इनके पिता सुपेन चौहान रोजी मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। मां जयकुमारी कभी भी स्कूल की चौखट तक नहीं देखी। इसके बावजूद भी उन्होंने अपने पुत्र मनीष को शिक्षा देने के लिए जी जान लगा रखे हैं।

दो वक्त की रोटी भी परिवार को ठीक ढंग से नसीब नहीं होता है और जैसे-तैसे कर मनीष के माता-पिता अपने पुत्र को तालीम के लिए कभी पीछे नहीं रहे। महानदी के किनारे स्थित छोटे नवापारा के सुपेन चौहान का घर सहित गांव प्रतिवर्ष बाढ़ की त्रासदी का दंश झेलता हैं। आर्थिक तंगी के बाद भी मनीष चौहान ने दृढ इच्छा शक्ति लगन एवं मेहनत को लक्ष्य मानते हुए उन्होंने शिक्षा के प्रति समर्पित रहा और दसवीं बोर्ड परीक्षा में 96.33% अंक अर्जित कर शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल सरिया एवं क्षेत्र तथा अपने गांव का नाम रोशन किया है।

उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय सबसे पहले अपने माता-पिता एवं हायर सेकेंडरी स्कूल सरिया के शिक्षकों को दिया। आगे की पढ़ाई के लिए इस संबंध में गुरुजनों से मार्गदर्शन लेकर अध्यापन कार्य जारी रखेगा। चौहान समाज के पदाधिकारी एवं राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक राजेंद्र चौहान ने भी आज ग्राम छोटे नवापारा पर पहुंचकर मेधावी छात्र मनीष चौहान को पुस्तक एवं गुलदस्ता भेंट कर सम्मान किया । उन्होंने इस संबंध में सारंगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर के एल चौहान को अवगत करते हुए समाज के द्वारा यथासंभव जो भी सहयोग हो करने का संकल्प लिया।

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