मां-बेटे की हत्या : एक ही परिवार के चार को आजीवन कारावास

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सरगुजा जिले के उदयपुर थाना क्षेत्र के ग्राम सितकालो में लगभग तीन वर्ष पूर्व जमीन विवाद पर मां- बेटे की हत्या करने के आरोप पर द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोनिका जायसवाल के न्यायालय ने दंपती तथा उसके पुत्र व पुत्रवधु को आजीवन कारावास व अर्थदंड से दंडित किया है।अर्थदंड की राशि जमा नहीं करने पर अतिरिक्त सश्रम कारावास भी आरोपितों को भुगतना होगा।

अतिरिक्त लोक अभियोजक अरविंद सिंह ने बताया कि घटना दिवस 14 मार्च 2021 को उदयपुर थाना क्षेत्र के ग्राम सितकालो निवासी मृतक धुनेश्वर टोप्पो अपनी मां तुली बाई तथा पुत्र रूबेन टोप्पो के साथ खेत का मेड़ बना रहे थे। इस दौरान आरोपित रतिराम मझवार,अपने पुत्र प्रेमसाय उर्फ विदुर,पत्नी धनमोती उर्फ गणेश्वरी तथा पुत्रवधु गनेशी के साथ मौके पर पहुंचे।

आरोपित रतिराम ने धुनेश्वर टोप्पो को खेत का मेड़ बनाने से मना किया। आरोपित का कहना था कि यह जमीन उसकी है। जबकि धुनेश्वर टोप्पो का कहना था की जमीन उसके पट्टे की है। इसलिए वह अपने जमीन पर मेड़ बना रहा है। इसी बात को लेकर दोनों के बीच चर्चा चल रही थी।

अचानक आरोपित रतिराम मझवार ने मृतक धुनेश्वर टोप्पो के हाथ से फ़ावड़ा छीन लिया और उस पर प्राणघातक हमला कर दिया जिससे मौके पर ही धुनेश्वर टोप्पो की मौत हो गई। आरोपितों ने मृतक की मां तुली बाई पर भी जानलेवा हमला कर दिया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी।

घटना की सूचना मृतक धुनेश्वर टोप्पो के पुत्र रूबेन टोप्पो ने उदयपुर थाने में दी थी। इधर घायल तुली बाई को उदयपुर अस्पताल ले जाया गया था जहां उसकी भी मौत हो गई थी। मामले में पुलिस ने आरोपित रतिराम मझवार (50 ) उसके पुत्र प्रेमसाय उर्फ विदुर (35), पत्नी धन ₹मोती उर्फ गणेश्वरी (48) तथा पुत्र वधु गनेशी (30) के विरुद्ध हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया था.घटना के बाद से रतीराम और उसका पुत्र प्रेमसाय उर्फ विदुर जेल में ही निरुद्ध है।

जबकि पत्नी और पुत्र वधु को जमानत मिल गई थी। प्रकरण के सारे तथ्यों की सुनवाई और पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मोनिका जायसवाल के न्यायालय ने आरोपितों को हत्या का दोषी पाया। प्रकरण में मंगलवार को फैसला सुनाया गया। जिसमें दंपति रतीराम व धनमोती उर्फ गणेश्वरी के साथ उनके पुत्र प्रेमसाय और पुत्र वधु गनेशी को भी आजीवन कारावास तथा अर्थदंड की सजा सुनाई गई है।

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