प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और उसके बाद देशवासियों को संबोधित किया। अपने भाषण में पीएम मोदी ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई और इस पर ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं से उन्हें गहरा दुख होता है। उन्होंने महिलाओं की उपलब्धियों और उनके बढ़ते नेतृत्व की सराहना की, लेकिन साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि जब महिलाओं के खिलाफ हिंसा होती है तो यह चिंता का विषय बन जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में तुरंत और कड़ी सजा मिलनी चाहिए और जांच की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाना चाहिए।
पीएम मोदी ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर गुस्से को गंभीरता से लेने की अपील की। उन्होंने कहा, “हमारे समाज में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ गुस्सा है। हमें इस गुस्से को समझना होगा और उन लोगों को सजा दिलानी होगी जो राक्षसी कृत्य करते हैं।
इससे समाज में विश्वास पैदा होगा और पापियों में डर पैदा होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि जब भी बलात्कार या अन्य गंभीर अपराधों की घटनाएं होती हैं, तो इस पर व्यापक चर्चा होती है। लेकिन, जब दोषियों को सजा मिलती है, तो उसकी खबरें आमतौर पर कम होती हैं। पीएम मोदी ने सुझाव दिया कि सजा प्राप्त करने वाले अपराधियों की खबरों को भी प्रमुखता से दिखाया जाए ताकि इससे दूसरे लोगों को भी एक संदेश मिले कि ऐसे अपराधों के लिए कड़ी सजा मिलती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि देश ने पहले भी बड़ी चुनौतियों का सामना किया है और आज भी हमें आगे बढ़ते रहना है।
उन्होंने देश की समृद्धि की दिशा में किए गए प्रयासों पर भी जोर दिया और कहा कि हमें अपने 140 करोड़ नागरिकों की ताकत का सही उपयोग करके देश को और भी उन्नति की ओर ले जाना है। प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन ने न केवल महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया बल्कि समाज में सुधार और बदलाव की दिशा में भी एक मजबूत संदेश दिया।