बीजेपी एनडीए की सरकार बनाने के लिए लगातार अपने सहयोगी दलों से संपर्क साध रही है. आज एनडीए की अहम बैठक भी हुई है. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही बीजेपी की ओर से नई सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। कहा यह भी जा रहा है कि बीजेपी किसी भी सूरत में किसी दूसरे दल के व्यक्ति को इस पद पर नहीं बैठाना चाहती.
लोकसभा स्पीकर का पद सदन में काफी अहम होता है. स्पीकर ही लोकसभा सदन का मुखिया होता है. स्पीकर न केवल सदन के अनुशासन को सुनिश्चित करता है, बल्कि इसके उल्लंघन पर लोकसभा सदस्यों को दंडित करने का भी अधिकार रखता है. लोकसभा स्पीकर की भूमिका और अहम तब हो जाती है. जब किसी दल या गठबंधन का बहुमत परीक्षण कराना होगा.
दोनों पक्षों के वोट बराबर होने पर वह मतदान करने का भी अधिकारी होता है. ऐसे में स्पीकर का वोट निर्णायक और महत्वपूर्ण हो जाता है. लोकसभा स्पीकर सदन की प्रक्रियाओं जैसे स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव आदि की भी अनुमति देता है. इसके अलावा स्पीकर संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत वह संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता भी करता है. इतना ही नहीं स्पीकर ही लेाकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता देने पर भी फैसला करता है.
कितनी मिलती है सैलरी ?
लोकसभा का स्पीकर को 1954 के संसद अधिनियम के तहत वेतन, भत्ते और पेंशन आदि की सुविधाएं दी जाती है. दिसंबर 2010 में इस अधिनियम में कुछ संशोधन भी किया गया था. विशेष अधिनियम के मुताबिक लोकसभा स्पीकर को 50 हजार रुपए की सैलरी मिलती है. यहां यह जान लेना जरूरी है कि लोकसभा स्पीकर भी सदन का सदस्य ही होता है. लोकसभा स्पीकर को भी हर महीने 45 हजार रुपये निर्वाचन क्षेत्र का भत्ता मिलता है. स्पीकर को समितियों की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए रोजाना 2 हजार रुपए भत्ता भी मिलता है.