NTPC सीपत में लगने वाले विश्व के पहले AUSCT संयंत्र के लिए मिली पर्यावरणीय मंजूरी

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एनटीपीसी (NTPC) द्वारा छत्तीसगढ़ के सीपत (Sipat) में स्थापित किए जाने वाले एडवांस्ड अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल टेक्नॉलजी डेमोनेस्ट्रेशन प्लांट (Advanced Ultra Super Critical Technology Demonstration Plant) के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। एड्वांस्ड अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल टेक्नॉलजी से विकसित किए जाने वाला यह देश ही नहीं बल्कि विश्व का पहला पॉवर प्लांट होगा।

800 मेगावाट क्षमता वाले AUSCTDP के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति हेतु 11 दिसम्बर, 2023 को लोकसुनवाई हुई थी। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 6 अगस्त, 2024 को पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की गई। 800 मेगावाट (MW) वाले नए संयंत्र की प्रारंभिक लागत 10 हजार 500 करोड़ रुपए है। पर्यावरण संरक्षण के लिए 957.32 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाएगा। एड्वांस्ड अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल बायलर पैरामीटर के आधार पर पल्वराइज्ड कोल फायर्ड थर्मल पॉवर परियोजना होगी।

NTPC एवं BHEL का संयुक्त उद्यम करेगा स्थापित

यह विद्युत संयंत्र एनटीपीसी लिमिटेड (NTPC) और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा निर्मित संयुक्त उद्यम द्वारा स्थापित किया जाएगा। यहां बताना होगा कि AUSC तकनीक को इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च, भेल और एनटीपीसी के संयुक्त अनुसंधान एवं विकास प्रयासों से स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। एयूएससी प्रौद्योगिकी का अब तक कहीं भी प्रदर्शन नहीं किया गया है, हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका (US), यूरोप, चीन और जापान इसका अध्ययन और विकास कर रहे हैं।

कार्बन- डाइ- ऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा

वर्तमान में भारत के थर्मल पावर प्लांट 32 प्रतिशत की औसत दक्षता पर काम करते हैं। एयूएससी तकनीक का उपयोग करके इस आंकड़े को 46 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसी उच्च दक्षता वर्तमान पावर प्लांट तकनीक में उपयोग किए जाने वाले 540-600 डिग्री सेल्सियस के बजाय 710-720 डिग्री सेल्सियस के उच्च भाप तापमान द्वारा प्राप्त की जाती है।

अधिक दक्षता का मतलब है कि पावर प्लांट को प्रति मेगावाट-घंटे कम कोयले की आवश्यकता होती है, जिससे उत्सर्जन कम होता है। बीएचईएल के अनुसार, एयूएससी तकनीक सब- क्रिटिकल तकनीक की तुलना में कार्बन- डाइ- ऑक्साइड (carbon dioxide) उत्सर्जन में 10- 15 प्रतिशत की कमी प्रदान करती है। वर्तमान में, भारत में कुल 72 सुपरक्रिटिकल और 20 अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर यूनिट हैं।

सीपत संयंत्र की क्षमता बढ़कर हो जाएगी 3780 MW

एनटीपीसी सीपत की वर्तमान क्षमता 2980 मेगावाट है। तीसरे चरण के तहत 800 मेगावाट की इकाई के प्रचालन में आ जाने के बाद क्षमता बढ़कर 3780 मेगावाट हो जाएगी। सीपत में पहले पहले चरण में 660 मेगावाट की ती इकाइयां स्थापित की गई थी। दूसरे चरण में 500 मेगावाट की दो यूनिट लगाई गई।

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