जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज नाक, कान एवं गला रोग विभाग के विशेषज्ञों ने सर्जरी की। गले (श्वास नली के अंदर) में फंसे गए ढक्कन को बाहर निकाला। सर्जरी के बाद बच्ची स्वस्थ्य है। बता दें कि 11 जुलाई को भी एक दो वर्ष के बच्चे ने तार का टुकड़ा निगल लिया था, जिसे मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों ने सर्जरी के निकाल लिया था.
नाक, कान एवं गला रोग विभाग की प्रमुख डा. कविता सचदेवा ने बताया कि रद्दी चौकी निवासी एक डेढ़ वर्षीय बच्ची काे उसके माता-पिता जांच के लिए लेकर आए थे। उन्होंने बताया कि बच्ची को श्वास लेने में समस्या हो रही है। कुछ खा नहीं रही है। पानी पिलाने या कुछ खिलाने का प्रयास करने पर उल्टी करती रही। उसे कोई गंभीर समस्या है।
प्रारंभिक परीक्षण के बाद बच्ची के गले का एक्स-रे किया गया। एक्स-रे श्वास नली में कुछ फंसा दिखा। तुरंत सर्जरी की गई, जिसमें एक प्लास्टिक का ढक्कन को बाहर निकाला गया। संभवत: बच्ची ने खेल-खेल में ढक्कन को निगल लिया था।
बच्चों को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए
डा. सचदेवा ने माता-पिता से छोटे बच्चों के हाथों में इस प्रकार की सामग्री देने से मना किया है, जिसे वह निगल सकते हो। बच्चों को अकेले नहीं छोड़ने का भी परामर्श दिया है। ऐसे मामले में लापरवाही और विलंब से बच्चों की जीवन संकट में पड़ सकता है।
बच्चा निगल गया तार का टुकड़ा
डॉक्टरों के अनुसार दो वर्ष के बच्चे के गले में बेहद बारीक तार का टुकड़ा फंसा हुआ था। बच्चे को तकलीफ होने पर मां उसे लेकर जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज पहुंची थी। बच्चे की हालत देखकर डॉक्टरों ने तुरंत ही ऑपरेशन करने का फैसला किया था। इसके जरिए बच्चे के गले में फंसा तार निकाल लिया गया।
एंडोस्कोपी से तार का टुकड़ा निकाला
एंडोस्कोपी के माध्यम से बच्चे के गले में फंसे तार के टुकड़े को बाहर निकाला गया। सफल सर्जरी से बच्चे की जान बच गई। सर्जरी दल में सम्मिलित नाक, कान एवं गला रोग विशेषज्ञ डाॅ. कविता सचदेवा के अनुसार यह एक जटिल ऑपरेशन था, लेकिन कुशल चिकित्सकों ने सावधानीपूर्वक अन्य किसी अंक को हानि पहुंचाएं बिना तार को बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की।