नाग पंचमी इस साल 9 अगस्त, शुक्रवार को है। पौराणिक मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। इस दिन नागों की पूजा इसलिए भी है क्योंकि माना जाता है कि इस पृथ्वीलोक को शेषनाग ने अपने फन पर उठा रखा है, इसलिए नाग पंचमी पर धरती पर रहने वाले नागों का आभार व्यक्त किया जाता है। इसी के साथ नाग पंचमी और नागों से जुड़ीं ऐसी कई कहानियां हैं, जो बहुत ही प्रसिद्ध हैं। एक ऐसी ही कहानी है नागलोक से जुड़ी हुई। काशी में एक ऐसा कुआं है, जहां का रास्ता नागलोक से होकर जाता है। स्कंद पुराण में भी इस जगह का वर्णन मिलता है।
नवापुरा, वाराणसी से जुड़ा है नागलोक जाने का मार्ग
काशी यानी वर्तमान वाराणसी में नवापुरा नामक एक स्थान है, जहां पर नागकूप स्थित है। कारकोटक नागी तीर्थनागकूप, जिसे नागी तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है। यह कूप अपनी अथाह गहराई के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस कूप का सम्बध पाताल लोक से है। इस कूप के बारे में कहा जाता है कि इस अगर कोई व्यक्ति नागलोक जाना चाहता है, तो नागकूप से होकर जा सकता है।
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए यहां आते हैं भक्त
नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। नागकूप की गहराई किसी को नहीं पता। इस कूप के अंदर से ही पाताल लोक का रास्ता है। माना जाता है कि इस कुएं से कई बार कई रहस्यमय आवाजें भी सुनाई देती हैं।
स्कंद पुराण में इसे बताया गया है पाताल लोक का रास्ता
काल सर्प दोष की पूजा के लिए पूरी दुनिया में सिर्फ तीन जगहें हैं। इनमें से एक कुंड सबसे महत्वपूर्ण है। कहता है कि यहीं से पाताल लोक जाता है। कहते हैं इस कुंड के अंदर सात और कुंड हैं। माना जाता है कि यहां से पाताल लोक जाया जा सकता है। हालांकि, कोई भी इस रास्ते पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है क्योंकि कोई भी व्यक्ति इस रास्ते को पार नहीं कर सकता।
भगवान शिव दर्शन देने आते हैं
नागपंचमी के दिन पंतजलि भगवान सर्प रूप में आते हैं। इन्हें महादेव का अवतार भी माना जाता है। लोग भगवान के दर्शन करने के लिए बगल में नागकूपेश्वर भगवान की परिक्रमा करते हैं। भक्तों की गहरी आस्था है कि नाग पंचमी के दिन भगवान पंतजलि के दर्शन मात्र से सारे दुख दूर हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कुएं में लोग चढ़ाते हैं दूध और लावा
पाताललोक में जाने वाले इस कूप में कुछ लोग दूध और लावा भी चढ़ाते हैं। उनका मानना है कि इससे पाताल लोक में रहने वाले शेषनाग की कृपा उन पर बनी रहती है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस कुएं के आसपास कई प्रजाति के सांप भी निकलते रहते हैं लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि ये नाग किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।