बदमाश समझकर एसपी आफिस से मूकबधिर को ले जा रही थी गुजरात पुलिस, हंगामे के बाद मानी गलती

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मुरैना– एसपी आफिस में मंगलवार की दोपहर अनूठा घटनाक्रम हुआ। गुजरात की पुलिस ने फरारी बदमाश बताकर एक मूकबधिर को दबोचा और जबरन गाड़ी में बैठाने लगी, इसी दौरान हंगामा हो गया। मामला तूल पकड़ा और वरिष्ठ अफसरों तक पहुंचा। इसके बाद छानबीन हुई तो मूकबधिर निर्दोष और कालेज का चपरासी निकला। गुजरात की पुलिस ने गलती मानते हुए उक्त युवक को छोड़ दिया।

मंगलवार को एसपी आफिस में जनसुनवाई चल रही थी, इसी दौरान फोर्च्यूनर गाड़ी से गुजरात पुलिस की एक टीम आई। इस टीम को बाइक पर बैठा एक युवक दिखा, जिसके हाथ में झोला था। जींस, टीशर्ट, जैकेट पहने गुजरात पुलिस की टीम ने उक्त युवक को पकड़ा और जबरन गाड़ी में बैठाने लगे।

विरोध कर रहा युवक मूकबधिर था, जो कुछ सुन व बोल नहीं पा रहा था। माैके पर मौजूद मीडियाकर्मियों के कैमरे देखकर गुजरात पुलिस धीमी पड़ गई। इसके बाद युवक के बारे में जानकारी लेना शुरू हुआ तो पता चला, कि वह कैलारस तहसील के निगावनी गांव का रहने वाला मायाराम पुत्र सियाराम रावत है, जो आईटीआइ कालेज में चपरासी है।

मायाराम रावत का चचेरा भाई एसपी आफिस में शस्त्र लाइसेंस के संबंध में आया था और मायाराम उसी के साथ था। बाद में यह मामला एएसपी तक पहुंचा।

गुजरात के अहमदाबाद से आई पुलिस ने मायाराम के आधार कार्ड, वोटर कार्ड देखे फिर आईटीआइ कालेज तक गई। वहां गुजरात पुलिस ने बताया, कि वह दिमनी क्षेत्र के किसी रविंद्र सिंह गुर्जर को पकड़ने आए थे, जिसने अहमदाबाद में किसी व्यवसायी से टैरर टैक्स मांगा था। छानबीन के बाद गुजरात पुलिस ने अपनी गलती मानी और मायाराम रावत को छोड़ दिया और असली आरोपित रविंद्र गुर्जर की तलाश में जुट गए।

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