रायपुर– केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय (महानदी भवन) में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें छत्तीसगढ़ के कृषि और पंचायत विभाग की योजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में गांवों की समग्र समृद्धि, रोजगार सृजन, जलसंरक्षण और डिजिटल सशक्तिकरण के रोडमैप पर विस्तार से चर्चा हुई।
केंद्रीय मंत्री ने ‘अटल डिजिटल सुविधा केंद्रों’ की सराहना करते हुए कहा कि ये केंद्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दिशा में क्रांतिकारी पहल हैं। उन्होंने कहा कि इस नवाचार को अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है।
‘अमृत सरोवर’ से आजीविका और जलसंरक्षण
बैठक में ‘अमृत सरोवर योजना’ को ग्रामीण आजीविका से जोड़ने के निर्देश दिए गए। मंत्री चौहान ने कहा कि इससे ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा और जल प्रबंधन में ठोस सुधार आएगा। उन्होंने मनरेगा बजट पुनरीक्षण और प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रगति को लेकर भी केंद्र की ओर से सहयोग का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री बोले – योजनाओं को जमीन तक पहुंचाना ही असली सुशासन
मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि गांवों की समग्र समृद्धि सुनिश्चित करना है। उन्होंने डिजिटल सेवाओं की पहुंच, युवाओं के कौशल विकास और आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को राज्य की प्राथमिकता बताया।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की रफ्तार
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की समीक्षा के दौरान केंद्रीय मंत्री ने नक्सल प्रभावित इलाकों में ‘नेलानार योजना’ के तहत हो रहे कार्यों की सराहना की और कहा कि यह योजना विकास को सबसे कठिन इलाकों तक ले जा रही है।
कृषि के लिए बहुआयामी रणनीति
चौहान ने बताया कि पारंपरिक खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे सहयोगी क्षेत्रों में भी राज्य को आगे बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने वैज्ञानिक कृषि, जैविक खेती और फसल चक्र जैसे नवाचारों को अपनाने पर जोर दिया।
केंद्र-राज्य साझेदारी से बनेगा नया मॉडल
बैठक के अंत में केंद्रीय मंत्री ने विश्वास जताया कि केंद्र और राज्य की साझा पहल से छत्तीसगढ़ कृषि और ग्रामीण विकास में देश के लिए रोल मॉडल बन सकता है। मुख्यमंत्री ने इस संकल्प को जमीन पर उतारने के लिए हरसंभव कदम उठाने का आश्वासन दिया।
बैठक में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, कृषि मंत्री रामविचार नेताम और कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।