ऐसा क्या गुनाह किया… कोर्ट ने बच्चों को दो साल तक अस्पताल में पोछा लगाने की दी सजा…

13

ऐसा क्या गुनाह किया… कोर्ट ने बच्चों को दो साल तक अस्पताल में पोछा लगाने की दी सजा

झुंझुनूं के बाल न्यायालय ने दो बच्चों को सजा सुनाई. उन्हें दो साल तक अस्पताल में साफ-सफाई करने की सजा सुनाई गई है. इसके साथ ही न्यायालय ने दोनों पर दस-दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. दरअसल, सेशन न्यायाधीश दीपा गुर्जर ने बालक A और P को हिंसा करने और कैंपर गाड़ी से टक्कर मारकर वैन को क्षतिग्रस्त करने के मामले में यह फैसला सुनाया.

कोर्ट ने दोनों बालकों को आदेश दिया कि वह अगले दो सालों तक सरकारी अस्पताल के वार्ड, किचन और अन्य स्थानों पर अवैतनिक साफ-सफाई का कार्य करेंगे. इस दौरान उन्हें फर्श पर पोछा लगाने का काम भी सौंपा जाएगा. यह काम एक सप्ताह में कम से कम 30 घंटे का होगा. दोनों बच्चे यह काम सीएमएचओ के निर्देशन और देखरेख में करेंगे. इसकी रिपोर्ट हर तीन महीने में सीएमएचओ को कोर्ट में पेश करनी होगी.

क्या था पूरा मामला?

ये मामला 7 मई 2020 का है. संदीप कुमार ने बगड़ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि 2020-21 में ग्राम पंचायत प्रतापपुर के शराब ठेके का लाइसेंस उसके नाम था. दुकान झुंझुनूं रोड पर मठ बस स्टैंड के पास है. वह 7 मई 2020 की सुबह रविंद्र और सेल्समैन मंजीत सिंह के साथ ठेके पर आया था, जैसे ही दुकान खोली, वहां तीन बिना नंबरों की कैंपर गाड़ी आईं. इनमें बैठे लोगों ने आते ही उन तीनों पर जान से मारने की नियत से फायरिंग शुरू कर दी.

डेढ़ लाख रुपए डकैती

इसके बाद उन्होंने दुकान में घुसकर काउंटर पर रखी शराब की बोतलों में तोड़फोड़ की और पिस्टल दिखाकर बिक्री के डेढ़ लाख रुपए भी ले गए. वहां खड़ी वैन को टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया गया. पुलिस ने मामले की जांच की और डकैती के आरोप में दोनों के खिलाफ आरोप पत्र किशोर न्याय बोर्ड में पेश किया. बाद में यह मामला बाल न्यायालय में भेजा गया.

कोर्ट ने सुनाया फैसला

राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने पक्ष रखते हुए 25 गवाहों के बयान पेश किए. जज ने दोनों बालकों को डकैती के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन उनके खिलाफ अन्य अपराधों को सिद्ध करते हुए उन्हें अस्पताल में साफ-सफाई का काम सौंपने का फैसला लिया. जज ने बालकों के सामुदायिक सेवा कार्य के साथ ही जुर्माना लगाने का आदेश दिया और दोनों को 10 फरवरी 2025 को परिवीक्षा अधिकारी और सीएमएचओ के समक्ष पेश होने के लिए कहा गया है. बालकों के सामुदायिक सेवा कार्य की रिपोर्ट हर तीन महीने में कोर्ट में पेश करनी होगी.

 

Join Whatsapp Group