तुर्की से नक्सल समर्थन का खुलासा, बसव राजू की मौत पर भारत सरकार की आलोचना

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नई दिल्ली- भारत में नक्सल संगठन के शीर्ष नेता बसव राजू की मौत के बाद एक ऐसा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने देश के सुरक्षा तंत्र और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। तुर्की के एक वामपंथी उग्रवादी संगठन ने बसव राजू की मौत पर भारत सरकार की निंदा करते हुए वीडियो जारी किया है, जिससे नक्सली नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की पुष्टि होती है।

चेहरा ढककर वीडियो में बयान, सरकार की आलोचना

वीडियो में एक टर्किश वामपंथी उग्रवादी चेहरा ढककर बयान पढ़ता हुआ नजर आता है, जिसमें उसने भारत सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और ‘क्रांतिकारी नेतृत्व’ के खिलाफ हिंसा का आरोप लगाया है। यह वीडियो न केवल भारत की अंदरूनी सुरक्षा से जुड़ी चुनौती को उजागर करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि नक्सल विचारधारा की जड़ें वैश्विक वामपंथी नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं।

फिलीपींस से भी श्रद्धांजलि, वैश्विक नेटवर्क पर सवाल

कुछ दिन पहले फिलीपींस के एक वामपंथी संगठन द्वारा भी बसव राजू को श्रद्धांजलि दिए जाने की खबरें सामने आई थीं। अब तुर्की से आए वीडियो से साफ हो गया है कि जहां-जहां वामपंथी उग्रवाद सक्रिय है, वहां भारतीय नक्सल नेतृत्व को समर्थन और सहानुभूति मिल रही है। विशेषज्ञ इसे नक्सली संगठन के इंटरनेशनल लॉजिक और सहयोग तंत्र की ओर इशारा मान रहे हैं।

21 मई की मुठभेड़ में ढेर हुआ था बसव राजू

गौरतलब है कि 21 मई को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के जंगलों में एक ऐतिहासिक एंटी-नक्सल ऑपरेशन के दौरान, नक्सल संगठन के सुप्रीमो नम्बाला केशव राव उर्फ बसव राजू उर्फ गगन्ना को DRG के जवानों ने मार गिराया था। उस पर ₹1 करोड़ का इनाम घोषित था और वह वर्षों से भारत में माओवादी नेटवर्क का शीर्ष संचालक था।

30 नक्सलियों का खात्मा, संगठन को बड़ा झटका

इस मुठभेड़ में 30 नक्सली मारे गए, जिनमें से कई सेंट्रल कमेटी (CC) के सदस्य भी बताए जा रहे हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, यह ऑपरेशन भारत के नक्सल उन्मूलन अभियान की सबसे बड़ी कामयाबी में से एक है।

बसव राजू: भारत का ‘ओसामा’ या ‘प्रभाकरण’

विशेषज्ञों की तुलना में, जिस तरह अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को, और श्रीलंका ने LTTE चीफ प्रभाकरण को मार गिराकर आतंक के नेटवर्क की कमर तोड़ी थी, उसी तरह भारत ने बसव राजू को खत्म कर नक्सलवाद के शीर्ष नेतृत्व को निर्णायक चोट दी है।

अब क्या? नक्सलियों की रणनीति पर नजर

तुर्की और अन्य देशों से मिल रहे समर्थन ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। अब सवाल उठता है कि क्या नक्सल आंदोलन किसी ग्लोबल नेटवर्क के सहारे खुद को फिर से खड़ा करने की कोशिश करेगा? एजेंसियां अब इस ऐंगल से भी निगरानी तेज कर रही हैं।

बसव राजू की मौत भारत के लिए सुरक्षा मोर्चे पर बड़ी जीत है, लेकिन तुर्की और अन्य देशों से आए बयानों ने यह साबित कर दिया है कि लड़ाई सिर्फ जंगलों की नहीं, विचारधारा और वैश्विक नेटवर्क की भी है। अब यह भारत के लिए जरूरी हो गया है कि वह इस चुनौती से रणनीतिक और वैश्विक स्तर पर निपटने की तैयारी करे।

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