बड़ी खबर: नाबालिग का अपहरण के बाद किया रेप, आरोपियों को मिली सजा…

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सोनभद्र- सोनभद्र, बाजार के लिए निकली किशोरी को बहला-फुसलाकर अगवा करने और उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने के दोषी को सात वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। मामला पिपरी थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने शुक्रवार को प्रकरण की सुनवाई की।

इस दौरान अधिवक्ताओं की तरफ से दी गई दलीलों, पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों की तरफ से परीक्षित कराए गए बयानों के आधार पर अपहरण के लिए दोषसिद्ध पाया गया और इसके लिए दोषी दीपक तिवारी को सात वर्ष की कठोर कैद के साथ, 30 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

अर्थदंड अदा न करने की दशा में 15 दिन की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया। वहीं, अर्थदंड की धनराशि जमा होने के बाद, 30 हजार में से 25 हजार पीड़िता को प्रदान करने के आदेश दिए गए। पिपरी थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति ने 9 सितंबर 2017 को पिपरी थाने में एक गुमसुदगी दर्ज कराई।

पुलिस को दी गई तहरीर में अवगत कराया कि उसकी 17 वर्षीय बेटी शाम 6 बजे रेणुकूट बाजार गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। कहा कि लोगों से पूछताछ के दौरान पता कि इसमें दीपक तिवारी पुत्र राजेंद्र तिवारी निवासी हाईटेक रेलवे क्रासिंग रेणुकूट, थाना पिपरी, मूल निवासी औडियार, थाना सुरेरी, जिला जौनपुर का हो सकता है।

वह उसके घर पर पहुंचा तो ताला बंद मिला। तहरीर में दावा किया गया कि राजेंद्र नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले गया है। धारा 363 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर पुलिस ने छानबीन की तो प्रकरण नाबालिग को बहला-फुसला कर अगवा करने और उसके साथ दुष्कर्म करने का पाया गया। इसके आधार पर पर पुलिस ने प्रकरण में धारा 366, 376 आईपीसी और धारा-3/4 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की बढ़ोत्तरी करते हुए न्यायालय में चार्जशीट प्रस्तुत कर दी।

प्रकरण की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की तरफ से दावा किया गया कि दोनों में डेढ़ साल से जान-पहचान थी। पीड़िता की तरफ से धारा 164 सीआरपीसी के तहत दर्ज कराए गए बयान का हवाला देते हुए दावा किया गया कि उसका आरोपी से पहले से मिलना-जुलना था। दावा किया गया कि वह स्वेच्छया अभियुक्त के साथ गयी थी और उसके साथ विवाह भी कर लिया। पीड़िता की उम्र भी 19 वर्ष होने का दावा किया गया। वहीं, अभियोजन की तरफ से सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने तथ्य और दलीलें अदालत के सामने रखा।

यह साबित किया कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 18 साल से कम थी। आरोपी द्वारा पीड़िता का अपहरण करके उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया गया। दावा किया गया कि नाबालिग होने के कारण पीड़िता की इच्छा का कोई महत्व नहीं है। विद्यालय प्रमाण पत्र से भी पीड़िता को नाबालिग होने की पुष्टि हुई। इसको दृष्टिगत रखते हुए, अदालत ने पाक्सो एक्ट के तहत दोषसिद्ध पाया और दोषी को सात वर्ष की कठोर कैद और अर्थदंड की सजा सुनाई।

 

 

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