रायपुर- राजधानी में शुक्रवार सुबह भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाले को लेकर EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) और ACB (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) की टीमों ने एक साथ कई जगहों पर छापेमारी की। तड़के 6 बजे से चल रही इस कार्रवाई में निलंबित पटवारी लेखराम देवांगन के घर समेत 17 से 20 अधिकारियों के ठिकानों पर रेड की गई है।
जांच एजेंसियों की यह कार्रवाई उस घोटाले से जुड़ी है, जिसमें किसानों को मिलने वाली मुआवजा राशि में 43 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की गई थी। जमीन अधिग्रहण के नाम पर सरकारी अधिकारियों और दलालों के गठजोड़ ने 78 करोड़ रुपये का भुगतान दिखाकर बड़े पैमाने पर बंदरबांट की।
विधानसभा में मामला उठने के बाद जांच तेज
विधानसभा में मामला उठने के बाद EOW ने FIR दर्ज कर जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि जमीन को बैक डेट पर टुकड़ों में बांटकर फर्जी दस्तावेज बनाए गए और मोटा मुआवजा निकाला गया।
इन अधिकारियों पर गिरी गाज:
तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू
तहसीलदार शशिकांत कुर्रे
नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण
पटवारी जितेंद्र साहू
पटवारी लेखराम देवांगन
दिनेश पटेल, विजय जैन, हरमीत सिंह, मनजीत सिंह, आशीष दास, उमा तिवारी, केदार तिवारी, रोशन वर्मा
इनमें से कई अधिकारियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।
रायपुर से लेकर भिलाई तक छापे
EOW की टीमों ने रायपुर के अलावा अभनपुर, आरंग, दुर्ग और भिलाई में भी छापेमारी की है। एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षकों के आवासों और ठिकानों को खंगाला जा रहा है।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
इससे पहले कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे और जगदलपुर के निगम आयुक्त निर्भय साहू को निलंबित किया जा चुका है। इन दोनों पर छह महीने पहले जांच रिपोर्ट आने के बावजूद देर से कार्रवाई शुरू की गई।
क्या है भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाला?
यह घोटाला रायपुर से विशाखापट्टनम तक बनने वाले भारतमाला कॉरिडोर (वाइजैग इकोनॉमिक कॉरिडोर) के जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है। इसमें दस्तावेजों में हेराफेरी कर जमीन की कीमतें बढ़ाई गईं और फर्जी तरीके से मुआवजा निकाला गया।
बहरहाल, EOW और ACB की यह कार्रवाई लगातार जारी है और कई और खुलासे होने की संभावना है।