‘Whatsapp, ई-मेल से भेजा गया नोटिस मान्य नहीं’ सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को क्यों दिया ऐसा निर्देश?
नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सएप या इलेक्ट्रॉनिक मोड से नोटिस भेजने पर अब रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस विभागों को निर्देश दिया है कि वे सीआरपीसी की धारा 41ए या बीएनएसएस की धारा 35 के तहत आरोपी को नोटिस देने के लिए व्हाट्सएप या किसी और इलेक्ट्रॉनिक मोड का उपयोग न करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे नोटिस केवल सेवा के लिए निर्धारित पारंपरिक तरीके से ही जारी किए जाएं।
इन दोनों प्रावधानों के अनुसार, संज्ञेय अपराध की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी को सबसे पहले संदिग्ध को नोटिस जारी कर उसे पेश होने के लिए कहना होगा। अगर संदिग्ध व्यक्ति पुलिस अधिकारी के सामने पेश होता है और जांच में सहयोग करता है, तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि विपक्षी राजनेताओं ने यह मुद्दा उठाया था कि पुलिस ने धारा 41ए के तहत नोटिस जारी किए बिना गिरफ्तारी करने की अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया है।
अदालत मित्र सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा के सुझाव को स्वीकार करते हुए जस्टिस एमएम सुंद्रेश और राजेश बिंदल की बेंच ने आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपनी पुलिस मशीनरी को आदेश दें कि केवल बीएनएसएस 2023 के तय मानकों के हिसाब से ही नोटिस जारी की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहाकि वॉट्एसऐप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भेजी गई नोटिस बीएनएसएस 2023 के तय मानकों को पूरा नहीं करती है। लूथरा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसले की नजीर दी। इस फैसले में शीर्ष अदालत ने पुलिस को बिना सीआरपीसी के सेक्शन 41ए का पालन किए एक शख्स को गिरफ्तार करने से रोक दिया था। इस व्यक्ति ने ऐसा जुर्म किया था, जिसमें उसे सात साल तक की सजा हो सकती थी।
जमानत बांड और जमानत राशि जमा न करा पाने के कारण जेल में बंद कई गरीब विचाराधीन कैदियों के मुद्दे पर, न्याय मित्र ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) ने सैद्धांतिक रूप से उनके सुझाव पर सहमति व्यक्त की है कि ऐसे कैदियों को व्यक्तिगत बांड के साथ उनके सत्यापित आधार कार्ड जमा कराने पर रिहा किया जाए।
हालांकि, चूंकि आधार कार्ड जमा करने के साथ व्यक्तिगत बांड पर ऐसे कैदियों को जमानत देने के लिए ऐसी प्रक्रिया के कार्यान्वयन के तौर-तरीकों पर काम किया जाना था, इसलिए पीठ ने इस संबंध में एक प्रक्रिया विकसित करने के लिए एमिकस को नालसा के साथ आगे चर्चा करने की अनुमति दी।