रूस -ऑस्ट्रिया दौरा समाप्त कर स्वदेश लौटे प्रधानमंत्री

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प्रधानमंत्री 2 दिनों की विदेश यात्रा के बाद गुरुवार सुबह नई दिल्ली पहुंचे। रूस के बाद पीएम मोदी ऑस्ट्रिया की यात्रा पर थे। पीएम ने ऑस्ट्रिया की यात्रा को सफल करार दिया। प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा, भारत की तरह ही ऑस्ट्रिया का इतिहास और संस्कृति भी बहुत पुरानी और भव्य रही है। एक-दूसरे के साथ हमारा संपर्क भी ऐतिहासिक रहा है। हमारे देशों के बीच मित्रता में नयी ऊर्जा का संचार हुआ है। मुझे वियना में विविध कार्यक्रमों में भाग लेने की खुशी है। चांसलर कार्ल नेहमर के आतिथ्य और स्नेह के लिए आभार।

पीएम ने वियना में कई शिक्षाविदों से मुलाकात भी की। उन्होंने इसकी जानकारी भी एक्स के जरिए दी। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, वियना में मुझे प्रोफेसर बिरगिट केलनर, डॉ. मार्टिन गेन्सले, डॉ. करिन प्रीसेनडांज और डॉ. बोरायिन लारियोस से मिलने का अवसर मिला। ये सभी सम्मानित शिक्षाविद और शोधकर्ता हैं, जिन्होंने भारतीय इतिहास और संस्कृति के पहलुओं का अध्ययन करने के लिए बहुत प्रयास किया है।

इससे पहले बुधवार को, पीएम मोदी ने चांसलर नेहमर के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और रूस-यूक्रेन संकट और आतंकवाद की कड़ी निंदा की। पीएम मोदी ने कहा, मैं गर्मजोशी भरे स्वागत और आतिथ्य सत्कार के लिए चांसलर नेहमर का आभार व्यक्त करता हूं। मुझे खुशी है कि मेरे तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही मुझे ऑस्ट्रिया आने का अवसर मिला। मेरी ये यात्रा ऐतिहासिक भी है और विशेष भी है। 41 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया है।

ये भी सुखद संयोग है कि ये यात्रा उस समय हो रही है, जब हमारे आपसी संबंधों के 75 साल पूरे हुए हैं। लोकतंत्र और ‘रूल ऑफ लॉ’ जैसे मूल्यों में साझा विश्वास, हमारे संबंधों की मजबूत नींव है। आज मेरे और चांसलर नेहमर के बीच बहुत सार्थक बातचीत हुई। हमने आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाओं की पहचान की है। हमने निर्णय लिया है कि संबंधों को स्ट्रैटजिक दिशा प्रदान की जाएगी। आने वाले दशक के लिए सहयोग का खाका तैयार किया गया है। ये केवल आर्थिक सहयोग और निवेश तक सीमित नहीं है।

पीएम मोदी ने कहा, दोनों देशों की युवा शक्ति और विचारों को कनेक्ट करने के लिए ‘स्टार्टअप ब्रिज’ को गति दी जाएगी। मोबिलिटी और माइग्रेशन पार्टनरशिप पर पहले से समझौता हुआ है। यह लीगल माइग्रेशन और कुशल कार्यबल की आवाजाही में सहयोग देगा। सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थाओं के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाएगा।

मैंने और चांसलर नेहमर ने विश्व में चल रहे विवादों, चाहे यूक्रेन में संघर्ष हो या पश्चिम एशिया की स्थिति, सभी पर विस्तार में बात की है। मैंने पहले भी कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है, समस्याओं का समाधान रणभूमि में नहीं हो सकता। कहीं भी हो, मासूम लोगों के जान की हानि अस्वीकार्य है। भारत और ऑस्ट्रिया संवाद और कूटनीति पर बल देते हैं और इसके लिए हम साथ मिलकर हरसंभव मदद देने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा, हम दोनों आतंकवाद की कठोर निंदा करते हैं। हम सहमत हैं कि ये किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। इसको किसी तरह भी जस्टिफाई नहीं किया जा सकता। हम संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में रिफॉर्म के लिए सहमत हैं, ताकि उन्हें समकालीन और इफेक्टिव बनाया जाए। आने वाले महीनों में ऑस्ट्रिया में चुनाव होंगे। मैं लोकतंत्र की जननी और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के लोगों की ओर से चांसलर नेहमर और ऑस्ट्रिया के लोगों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।’

 

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