ताइवान को 385 मिलियन डॉलर के हथियार बेचेगा अमेरिका

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वाशिंगटन- चीन और ताइवान के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका ने ताइपे के लिए बड़े सैन्य सौदे को मंजूरी दे दी है। इस सौदे के तहत अमेरिका ताइवान को एफ-16 जेट और रडार के लिए स्पेयर पार्ट्स की बिक्री करेगा। इस सैन्य सौदे की कीमत 385 मिलियन अमेरिकी डॉलर बताई जा रही है। अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने बताया कि साल 2025 में इसके शुरू होने की उम्मीद है।

इस सौदे के लिए अमेरिका की सहमति तब आई है जब ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते की प्रशांत क्षेत्र की यात्रा करने जा रहे हैं। अमेरिका के इस कदम से चीन की चिंताएं बढ़ गई हैं। डीएससीए ने इस सौदे की जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग की मंजूरी का उद्देश्य ताइवान को अपने एफ-16 बेड़े की परिचालन तैयारी बनाए रखने में मदद करना है। जिससे द्वीप वर्तमान और भविष्य दोनों खतरों से निपटने में सक्षम हो सके।

बाइडन के कार्यकाल में ताइवान के साथ यह 18वां सौदा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह नया हथियार सौदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के दौरान किया गया 18वां सौदा है। दरअसल, चीन के बढ़ते दबाव के बीच ताइवान सक्रिय रूप से अमेरिका के साथ अपने सैन्य संबंधों का विस्तार करने में लगा हुआ है। इस कारण द्वीप के आसपास सैन्य गतिविधि बढ़ गई है। पिछले महीने, अमेरिका ने ताइवान के लिए 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार पैकेज को मंजूरी दी थी। इसमें उन्नत मिसाइल सिस्टम और रडार शामिल थे।

अमेरिकी क्षेत्र में भी रुकेंगे ताइवानी राष्ट्रपति

चीन की आलोचनाओं और धमकियों के बावजूद ताइवान के राष्ट्रपति विलियम लाई चिंग-ते प्रशांत क्षेत्र की यात्रा पर रवाना हो गए हैं। इस दौरे के क्रम में वे अमेरिकी क्षेत्र हवाई और गुआम में भी रुकेंगे। पद संभालने के बाद यह उनका पहला विदेशी दौरा है। यात्रा पर रवाना होने से पहले अपने संबोधन में लाई ने यात्रा को सुचारू बनाने में मदद करने के लिए अमेरिका के प्रति आभार व्यक्त किया और यात्रा को मूल्य-आधारित लोकतंत्र के एक नए युग की शुरुआत बताया।

चीन ने जताया विरोध

लाई के दौरे से चीन नाराज हो गया है। ताइवान ने अमेरिका के साथ सैन्य सौदे और लाई की यात्रा का भी विरोध किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने लाई की अमेरिका यात्रा की निंदा की है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि अमेरिका को ताइवान मुद्दे को अत्यधिक सावधानी से संभालना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूएस को ताइवान की स्वतंत्रता का स्पष्ट रूप से विरोध करना चाहिए और चीन के शांतिपूर्ण पुनर्मिलन का समर्थन करना चाहिए।

ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन

गौरतलब है चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। अब तक चीन ने सीधे ताइवान पर आक्रमण नहीं किया है, लेकिन वो ये सब कुछ ग्रे जोन में करता है। ये चीन की सेना का एक पैंतरा है, जिससे वो सीधे युद्ध तो नहीं करती लेकिन ये शक्ति प्रदर्शन करती है। ग्रे जोन का मतलब है कि कोई देश सीधा हमला नहीं करता है लेकिन इस तरह का डर हमेशा बनाए रखता है।

सीधे सैन्य कार्रवाई की जगह, ऐसी कई चीजें होती रहती हैं, जिनसे हमले का डर बना रहता है। ताइवान के साथ चीन यही कर रहा है। चीन सितंबर 2020 से ‘ग्रे जोन’ रणनीति का अधिक बार उपयोग कर रहा है। जानकारों का कहना है कि ग्रे जोन युद्ध रणनीति दरअसल, एक तरीका है, जिससे लंबी अवधि में धीरे-धीरे प्रतिद्वंद्वी को कमजोर कर दिया जाता है और चीन ताइवान के साथ ठीक यही करने की कोशिश कर रहा है।

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