बिलासपुर– सहायक शिक्षक (पंचायत) को शिक्षक (पंचायत) ग्रंथपल के पद पर पद्दोनति से अपात्र करने के विरुद्ध दायर अपील को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं सहायक शिक्षक (पंचायत) को शिक्षक पंचायत ग्रंथ पाल के पद पर 6 सप्ताह में पदोन्नति पर विचार कर लाभ देने के निर्देश दिए हैं। जारी प्रेस नोट के अनुसार शासन केवल सहायक शिक्षक (पंचायत) ग्रंथपाल को ही शिक्षक (पंचायत) ग्रंथपाल पद पर पदोन्नति के लिए पात्र मान रही थी जिससे अन्य सहायक शिक्षक (पंचयत) प्रमोशन से वंचित हो गए थे।
छत्तीसगढ़ शिक्षक (पंचायत) संवर्ग (सेवा तथा भर्ती ) नियम 2012 के अनुसार सहायक शिक्षक (पंचायत) जो लाइब्रेरी साइंस में डिप्लोमा या डिग्री हो और ७ वर्ष अनुभव हो वह शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल के पद पर पदोन्नती का पात्र है।
याचिकाकर्तागण सर्वेश शर्मा और अन्य सहायक शिक्षक पंचायत के पद पर गरियाबंद में 2008 में नियुक्त हुए थे स 7 वर्ष के बाद उन्हें शिक्षक पंचायत ग्रंथ पाल के पद पर पदोन्नति की पात्रता थी किन्तु 2018 में राज्य शासन ने एक निर्देश जारी किया कि केवल सहायक शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल ही शिक्षक पंचायत ग्रंथपाल बन सकते हैं। जिसे उन्होंने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दी और बताया कि नियम 2012 में शिक्षक ग्रंथ पाल पर पदोन्नती हेतु सहायक शिक्षक पंचायत प्रावधानित हैं जिसे अवर सचिव ने गलत व्याख्या करते हुए सहायक शिक्षक पंचायत के साथ ग्रंथपाल जोड़ दिया हैं। जिससे सहायक शिक्षक (पंचायत ) पदोन्नति से वंचित हो गए हैं।
परिपत्र से नियम नही बदला जा सकता, इसके अतिरिक्त महासमुंद सरगुजा में समान सहायक शिक्षक पंचायत की पदोन्नती शिक्षक (पंचायत) ग्रंथपाल के पद में हुई हैं। शासन ने कहा कि अन्य जिलों में पदोन्नती गलत हुई हैं। सुनवाई पश्चात् मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सचिन सिंग राजपूत की युगलपीठ ने रिट अपील स्वीकार करते हुए निर्णय किया कि जब अन्य दो जिलों में समान सहायक शिक्षक पंचायत की पदोन्नति की गई हैं तो याचिकाकर्ताओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता अतः 6 सप्ताह में याचिकाकर्ता सहायक शिक्षक पंचायत को भी शिक्षक पंचायत ग्रंथ पाल पद पर अन्य जिलों में पदोन्नत सहायक शिक्षकों के समान पदोन्नती पर विचार कर लाभ देने के निर्देश दिए जाते हैं।