नक्सलियों से चर्चा करने के लिए सरकार ने जारी की मेल आईडी, गृहमंत्री बोले बताएं कैसा चाहते हैं बदलाव

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छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलियों से एक बार फिर 121 चर्चा करने के लिए तैयार है। जिसे लेकर राज्य सरकार ने मेल आईडी और गूगल फॉर्म जारी किया है। जिसके तहत गृह मंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों से पूछा है कि वह पुनर्वास नीति में किस तरह के बदलाव चाहते हैं सामने आए और बताएं।

उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने आज जगदलपुर में नक्सलियों से वार्ता की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हुए पुनर्वास नीति सुझाव के लिए ईमेल आईडी और गूगल फॉर्म जारी कर माओवादियों से आग्रह किया है की वे स्वयं बताएं कि उनके पुनर्वास नीति क्या होनी चाहिए। उन्होंने कहां की मैं हमेशा कहता हूं की वार्ता के सारे रास्ते खुले हैं और इसके लिए हमारी भाजपा की विष्णुदेव सरकार ने नियद नेल्ला नार नाम से योजना लाकर गांव में सड़क, स्वास्थ्य, पानी, सुविधा प्रारम्भ कर समानता और विकास का एक वातावरण तैयार कर वि अगला हैं और यह बात भटके हुए युवा समझ रहे हैं इसीलिए हम लेख से पूछ रहे हैं कि उनके पुनर्वास नीति क्या होनी चाहिए। ताकि मुख्य धारा में जुड़कर प्रदेश और देश की विकास में भागीदारी कर सके।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आप और समाज समर्थ है नक्सलवाद की इस समस्या के हल के लिए। सरकार स्वयं मानती है की आपरेशन मुख्य विषय नही है और यह तो सरकार के प्रयास का बहुत छोटा सा हिस्सा है सरकार का मुख्य प्रयास प्रभावित क्षेत्र में विकास करना, आदिवासी क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास के कार्य करना है। साथ ही साथ जो युवा नक्सलवादी विचारधारा छोड़कर पुनर्वासित हुए है उनके लिए कार्य कर रही है और उनके सर्वांगीण विकास की योजना आगे बढ़ा रही है।

उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने युवाओं को भड़काने वाले नक्सली नेताओं से पूछा है कि चीन जैसे देशों में भी माओवाद है लेकिन वहां सामाजिक धार्मिक आर्थिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता शून्य है क्या वे ऐसा राज्य चाहते हैं।

विजय भार्गाने कहा कि छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति बहुत ही अच्छ ऐप पर पढ़ें उसे बेहतर बनाने के लिए किसी भी राज्य में जाकर अध्ययन करने को तैयार है परंतु मुख्य विषय यह है की ना अधिकारियों को समर्पण करना है, ना पत्रकारों को, ना शासन में बैठे लोगों को और ना आमजनों को, समर्पण माओवादियों को करना है और यह पहल उन्हीं के लिए है कि वह स्वयं बताएं कि उनके पुनर्वास नीति क्या होनी चाहिए।

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