महाराष्ट्र के नासिक में एक सर्राफा व्यापारी के पास से 26 करोड़ रुपये कैश बरामद किया गया है. साथ ही उसके पास 90 करोड़ की प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी प्राप्त हुए हैं. आए दिन इस तरह की खबरें सुनने को मिलती रहती है. रेड या छापेमारी में करोड़ों रुपये की रकम जब्त की जाती है. कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि इन पैसों का आखिर होता क्या है? इसका जवाब बहुत सीधा सा है. यह पैसा एजेंसी सरकारी खातों में जमा करा देती है.
जब भी सीबीआई और ईडी किसी संस्थान या व्यकित पर रेड मारती है तो उसके सामान का पंचनामा किया जाता है. इसमें चल और अचल दोनों संपत्तियां शामिल की जाती हैं. सभी सामान की डिटेल लिस्ट बनती है. पंचनामा और डिटेल लिस्ट पर उस व्यक्ति के हस्ताक्षर लिये जाते हैं जिसके यहां छापेमारी हुई है.
कहां जाती है जब्त रकम
ED की ओर से जब्त की गई संपत्ति को सरकार के वेयरहाउस में रखवा दिया जाता है. कई बार जब्त किए गए पैसों को रिजर्व बैंक या फिर एसबीआई में सरकार के खाते में जमा कर दिया जाता है. इससे पैसों के खराब होने या उन्हें नुकसान पहुंचने का खतरा नहीं रहता. ED इन जब्त किए गए पैसों और संपत्तियों को अधिकतम 180 दिन तक अपने पास रख सकता है. इस दौरान उसे अदालत में इन संपत्तियों से जुड़े आरोपों को सही साबित करना होगा.
वापस भी मिल सकता है पैसा
ED पर संपत्तियों से जुड़े आरोपों को 6 महीने के भीतर साबित करने का दबाव होता है. कोर्ट में आरोप सही साबित होने पर संपत्ति सरकार के पास चली जाती है. मामला राज्य है तो राज्य सरकार और केंद्र से जुड़े मामले संपत्ति केंद्र सरकार के खजाने में जाती है. अगर ED इन आरोपों को साबित करने में नाकाम रही तो संपत्ति वापस उस व्यक्ति को दे दी जाती है, जिससे जब्त की गई थी.