नई दिल्ली– नीति आयोग द्वारा सोमवार को जारी एक अध्ययन के अनुसार, पिछले नौ वर्षों में भारत में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से उबर गए हैं।अध्ययन में कहा गया है, गरीबी अनुपात में 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से भारी गिरावट आई है और 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गई है, जो 17.89 प्रतिशत अंक की कमी है। उत्तर प्रदेश में पिछले नौ वर्षों के दौरान 5.94 करोड़ लोगों के बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने के साथ गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है, इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ और राजस्थान में 1.87 करोड़ लोग हैं।पेपर यह भी दर्शाता है कि घातीय विधि का उपयोग करके गरीबी कुल अनुपात में गिरावट की गति 2005-06 से 2015-16 की अवधि (7.69 प्रतिशत) की तुलना में 2015-16 से 2019-21 (10.66 प्रतिशत वार्षिक गिरावट दर) के बीच बहुत तेज थी।
संपूर्ण अध्ययन अवधि के दौरान एमपीआई के सभी 12 संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया गया है।चर्चा पत्र के अनुसार, मौजूदा परिदृश्य (यानी वर्ष 2022-23 के लिए) के मुकाबले वर्ष 2013-14 में गरीबी के स्तर का आकलन करने के लिए इन विशिष्ट अवधियों के लिए डेटा सीमाओं के कारण अनुमानित अनुमानों का उपयोग किया गया है।नीति आयोग ने कहा है कि भारत 2030 से पहले ही बहुआयामी गरीबी को आधा करने के अपने लक्ष्य को हासिल कर लेगा।
नीति आयोग के चर्चा पत्र ‘2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी’ के निष्कर्ष इस उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय 2013-14 से 2022-23 के बीच गरीबी के सभी आयामों को संबोधित करने के लिए सरकार की महत्वपूर्ण पहलों को देते हैं।पेपर के अनुसार, पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसी उल्लेखनीय पहलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे अभाव में काफी कमी आई है।