1 जुलाई से मोबाइल-ईमेल से दर्ज होगी रिपोर्ट, पुलिस तुरंत दर्ज करेगी FIR, ‘पावरफुल’ बना जाएगा आम आदमी; जानें सबकुछ

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देश में 1 जुलाई से कई नियमों में बदलाव होने वाला है। इसी तरह एक जुलाई से ही कानून में भी नए प्रावधान किए गए हैं। नए प्रावधान के तहत FIR दर्ज करने की प्रोसेस लोगों को और सुविधा दी गई है। ताकि पीड़ित समय पर एफआईआर करा सकें। इस नए प्रावधान के अनुसार कोई भी पीड़ित फोन या ईमेल के माध्‍यम से थाने को सूचना दे सकते हैं। थाने में आपकी तुरंत एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी।

इसमें यह प्रावधान के साथ ही एक चीज यह भी जोड़ी गई है कि ईमेल या फोन से एफआईआर (New Rule for FIR 2024) कराने की सूचना देने के बाद तीन दिन के अंदर पीड़ित को थाने में पहुंचना होगा। जहां आपके द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में साइन करना अनिवार्य रहेगा। इस सुविधा के बाद अब पीड़ितों को थाने के चक्‍कर नहीं काटने पड़ेंगे।

ऐसे केस में आती है समस्‍या

बता दें कि सबसे ज्‍यादा समस्‍या जो आती है उसमें ठगी, लूट औश्र कई बार मारपीट के ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें घटना के कई दिनों तक पुलिस के द्वारा एफआईआर (New Rule for FIR 2024) दर्ज नहीं की जाती है। नए प्रावधानों के साथ अब इस तरह के केस में ऑनलाइन माध्‍यम, फोन और ईमेल से रिपोर्ट दर्ज करा सकेंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1 जुलाई से फोन के माध्‍यम से ईमेल के माध्‍यम से एफआईआर (New Rule for FIR 2024) होना शुरू हो जाएगी। फोन पर शिकायत करते ही पुलिस तुरंत केस दर्ज करेगी। इतना ही नहीं नए प्रावधान के अनुसार कोई भी पीड़ित व्‍यक्ति देश के किसी भी हिस्‍से से में हुई घटना की एफआईआर कभी भी किसी दूसरे राज्य में पहुंचकर भी करा सकता है।

मान लीजिए कि रायपुर का व्यक्ति यदि दिल्‍ली या महाराष्‍ट्र जाता है और उसके साथ कोई घटना घटित होती है। वह किसी कारणवश दिल्‍ली या महाराष्‍ट्र के शहर में अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा सका और वापस रायपुर छत्‍तीसगढ़ लौट गया।

ऐसी स्थिति में भी वह छत्‍तीसगढ़ के किसी भी थाने में एफआईआर (New Rule for FIR 2024) दर्ज करा सकता है। पुलिस जीरो में रिपोर्ट दर्ज कर इस केस की डायरी संबंधित थाने को ट्रांसफर कर देगी। इस केस को लंबा नहीं खींचा जा सकेगा। इसके साथ ही 14 दिन के अंदर डीएसपी इस केस की जांच करेंगे।

न्‍याय संहिता में ये बदलाव किए

  • इंडियन जुडिशियल कोड में (भारतीय न्याय संहिता) में 20 नए अपराध जोड़े हैं।
  • डॉक्यूमेंट में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड।
  • ऑर्गेनाइज्ड क्राइम, हिट एंड रन, मॉब लिंचिंग पर सजा का प्रावधान किया है।
  • 33 अपराधों में कारावास की सजा बढ़ाई गई।
  • IPC में मौजूद 19 प्रावधानों को हटा दिया है।
  • छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान।
  • 83 अपराधों में जुर्माने की सजा बढ़ाई गई।

इन मामलों में नहीं मिलेगी जमानत

  • गंभीर मामलों के आरोपी को हथकड़ी लगाकर कोर्ट में कर सकेंगे पेश।
  • डॉक्‍टर के द्वारा मारपीट और दूसरे केस में तुरंत देंगे रिपोर्ट।
  • शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के केस में धारा-69 के तहत मामला दर्ज होगा।
  • अब तक 13 जुआ एक्‍ट में बेल मिल जाती थी। अब बेल नहीं मिलेगी। इसमें धारा 112 के तहत केस होगा। यह गैरजमानती है।
  • गंभीर संगठित क्राइम धारा-111 के दायरे में। अभी धारा-34 दर्ज की जाती थी।
  • छोटे बच्चों को अपराध के लिए उक्‍साने वालों पर धारा-95 के तहत एक्‍शन होगा।
  • आम आदमी किसी को क्राइम करते पकड़ लेता है तो उसे छह घंटे में पुलिस को सौंपना पड़ेगा।
  • अब 152 के तहत केस दर्ज होगा, राजद्रोह समाप्‍त होगा। सजा न्‍यूनतम 3 साल से बढ़ाकर 7 साल।

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