जंगल में मोर नाचा, सबने देखा, चीतल व बाइसन की बड़ी तादात

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बिलासपुर– अचानकमार टाइगर रिजर्व से अच्छी खबर सामने आई है। यहां एकाएक मोर की संख्या इतनी अधिक बढ़ गई है कि भ्रमण के दौरान हर दो किमी के अंतराल में चार से पांच के समूह में मोर नजर आ रहे हैं। उन्हें देखकर पर्यटकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता।

अचानकमार टाइगर रिजर्व में ज्यादातर प्रजातियों के वन्य प्राणियों के अलावा पक्षी भी है। घने जंगल के बीच भ्रमण के दौरान वन्य प्राणियों काे प्रत्यक्ष देखने का अलग रोमांच होता है। टाइगर रिजर्व की बात करें तो पर्यटकों के भ्रमण का सबसे प्रमुख उद्देश्य बाघ देखना होता है। ऐसा नहीं है कि टाइगर रिजर्व में बाघ नहीं है। इन्हें देखने का सौभाग्य बहुत कम मिलता है। इसकी एक वजह बाघों की कम संख्या को माना जाता है।

सैर के दौरान यदि बाघ नजर न आए और उनकी जगह पर दूसरे वन्य प्राणी विचरण करते दिख जाए तब पर्यटकों यह मानते हैं जंगल भ्रमण सार्थक हुआ। वर्तमान की बात करें तो सबसे ज्यादा मोर ही पर्यटकों की आंखों को सुकून दे रहे हैं। पहले यह प्रजाति गाहे- बगाहे नजर आते रहे हैं। अब स्थिति बदली है कि पर्यटकों को कुछ दिखे न दिखे पर मोर अवश्य नजर आ जाते हैं।

मोर भी एक या दो बार नहीं बल्कि, 30 से 35 किमी के इस भ्रमण मार्ग के हर दो किमी में चार से पांच मोर नजर आ जाते हैं। यह स्थिति कुछ महीने में बन रही है। सबसे अच्छी बात है कि जब भ्रमण मार्ग से मोर का समूह पार करता है या झाड़ियों के पीछे छिपे होते हैं तो चालक उस जगह पर जिप्सी रोककर पर्यटकों को उन्हें देखने का पूरा मौका देते हैं। अधिकांश पर्यटक मोबाइल व कैमरे में उनकी तस्वीर भी कैद कर लेते हैं। हालांकि अभी जिस रूट पर भ्रमण कराया जा रहा है उनमें मोर के साथ- साथ चीतल व बाइसन भी बड़ी तादात में नजर आ रहे हैं।

प्रबंधन मान रहा यह है वजह

टाइगर रिजर्व प्रबंधन यह मान रहा है कि पर्यटकों के बीच लगातार मोर नजर आने की सूचना आ रही है। मोर की संख्या बढ़ने की कई प्रमुख वजह है। सबसे प्रमुख मानव दखलअंदाजी कम होना है। पहले एटीआर में उतनी सख्ती नहीं बरती जाती थी। अब टाइगर रिजर्व से गुजरे मार्ग को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। इसके अलावा पहले की तरह छोटे – बड़े जलस्त्रोत नहीं सूखते। इनमें सालभर पानी रहता है। मोर को पानी के साथ आहार भी मिल जाता है। इसके अलावा पहले ग्रामीण इसके अंडे ले जाते थे। बंदिश व जागरूकता दोनों की वजह से अब ग्रामीण टाइगर रिजर्व के भीतर कोई भी ऐसा काम करने से बचते हैं, जिसमें उनके खिलाफ कार्रवाई हो जाए।

सड़क पर चीतलों का झुंड दे रहा सुकून

एटीआर का मार्ग बंद होने से वन्य प्राणियों का मूमेंट बढ़ा है। छपरवा से अचानकमार बैरियर के बीच जब पर्यटक लौटते हैं, उस समय सड़क के दोनों तरफ चीतलों का झुंड नजर आता है। बाइसन भी अब इस मार्ग के ईद- गिर्द पहुंच जाते हैं। पहले वाहनों की दबाव के कारण सड़क के नजदीक पहुंचने वन्य प्राणी डरते थे।

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