आठवीं के आदिवासी छात्र ने छात्रावास में लगाई फांसी

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अंबिकापुर– सरगुजा जिले के ग्राम दरिमा स्थित प्री मैट्रिक अनुसूचित जनजाति बालक छात्रावास में कक्षा आठवीं के छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक मुकेश (13) सीतापुर के ग्राम विशुनपुर का रहने वाला था। बुधवार को वह छात्रावास से स्कूल नहीं गया था। शाम को स्कूल से जब सहपाठी वापस लौटे तो मुकेश के कमरे का दरवाजा बंद था।

रोशनदान से झांकने पर फांसी पर उसकी लाश लटक रही थी।मृतक के स्वजन भी पहुंच गए हैं। पोस्टमार्टम की तैयारी चल रही है। आत्महत्या का कारण स्पष्ट नहीं है। दावा किया जा रहा है कि बालक पथरी की बीमारी से ग्रसित था। स्वजन उसका जड़ी बूटी से उपचार करा रहे थे लेकिन छात्रावास प्रबंधन ने उसके उपचार की व्यबस्था नहीं की।

पेट दर्द से भी छात्र परेशान रहता था सीतापुर थाना के ग्राम बिशनपुर निवासी बालक मुकेश तिर्की दरिमा के छात्रावास में रहकर आठवीं कक्षा में पढ़ रहा था। दस दिन गांव में जड़ी बूटियों से इलाज करा 20 फरवरी को वापस छात्रावास लौटा था। पथरी की दर्द के कारण वह तीन दिन से स्कूल नही जा रहा था। बुधवार को भी वह बीमार होने की जानकारी दी थी।

उसके दोस्त स्कूल गए थे लेकिन वह छात्रावास में ही था। स्कूल से वापस छात्रावास लौटे सहपाठियों ने जब कमरा बंद देखा तो आवाज लगाया, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर रोशन दान से झांक कर देखा तो छात्र को फंदे पर झूलता पाया। यह देख छात्रावास में हड़कंप मच गया। तत्काल खिड़की तोड़ दरवाज़ा खोला गया और छात्र को नीचे उतारा गया।

सूचना मिलते ही शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी भी दरिमा छात्रावास पहुंचे। मृतक के स्वजन को सूचना दे दी गई। वे भी छात्रावास पहुंच गए थे। रात हो जाने के कारण बुधवार को शव का पोस्टमार्टम नहीं किया जा सका था।अभी पोस्टमार्टम किया जाएगा। इस पूरे मामले में छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आ रही है।

शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत छात्रवासी बच्चों को लाभान्वित किया जाना है। उपचार की व्यवस्था भी प्रदान की जानी है लेकिन जब छात्र पथरी की बीमारी से पीड़ित था तो प्रबंधन उसका उपचार क्यों नहीं कराया इसका जवाब देने फिलहाल अधिकारी तैयार नहीं है। मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच के बाद कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई संभावित है।

 

 

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