नई दिल्ली– सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक माना है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना होगा।
केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं – एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं।
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि गुमनाम चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है।
पिछले साल नवंबर में सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की थी। पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने लगातार तीन दिनों तक दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19 (1) के तहत नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का हनन करती है, यह पिछले दरवाजे से लॉबिंग को सक्षम बनाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। साथ ही, विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को समाप्त करती है।