ऑपरेशन के दौरान बिगड़ी 4 साल की बच्‍ची की हालत, रास्‍ते में हुई मौत, बाइक से शव लाए पिता,अस्‍पताल पर लापरवाही का आरोप

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यहां एक चार वर्षीय बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई। हाथ में फ्रैक्‍चर होने पर स्वजन उसे निजी हास्पिटल में उपचार के लिए ले गए थे, जहां ऑपरेशन करने से पहले उसे बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया था। इसके बाद उसकी हालत बिगड़ी और उसे रतलाम रेफर किया, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

विडंबना यह रही कि जिस एंबुलेंस से रतलाम ले जाया गया, उसका चालक रतलाम में ही छोड़कर भाग गया। जैसे-तैसे दूसरा वाहन किया तो वह भी रतलाम से कुछ दूरी के बाद खराब हो गया। बाद में बच्ची के पिता उसके शव को गोद में उठाकर तपती धूप में बाइक से लेकर बदनावर पहुंचे। बच्ची अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसके निधन से माता-पिता सहित समस्त स्वजन सदमे में हैं।

बड़ी चौपाटी स्थित धर्मेंद्र राठौड़ की चार वर्षीय जियांशी मंगलवार शाम को खेलते वक्त गिर गई थी, जिससे उसके हाथ में फ्रैक्चर हो गया था। बुधवार सुबह उसे पिटगारा स्थित निजी अस्पताल ले गए, जहां हाथ में फ्रैक्चर होने पर डॉक्टर ने कच्चा पट्टा चढ़ाकर ऑपरेशन करने की सलाह दी। गुरुवार को बालिका खुशी-खुशी अस्पताल आई, लेकिन ऑपरेशन होने से डाक्टर ने उसे खाने-पीने की मनाही की थी। ऑपरेशन थियेटर में ले जाने के कुछ देर बाद डॉक्टर ने बच्ची के पिता को बताया कि उसकी हालत ठीक नहीं है और वह झटके ले रही है, उसे रतलाम रेफर करना पड़ेगा। इस बीच बच्ची लगातार खाने और पीने की मांग करती रही, लेकिन डॉक्टर की हिदायत के कारण भोजन-पानी नहीं दिया गया।

जियांशी को एंबुलेंस से रतलाम ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। एंबुलेंस वाला उसे रतलाम में ही छोड़कर भाग गया। जियांशी को अन्य वाहन से बदनावर ला रहे थे, लेकिन रास्ते में उक्त वाहन खराब हो गया। जब कोई रास्ता नहीं बचा तो बाइक पर पिता बच्ची का शव गोद में उठाकर बदनावर थाने लाए।

यहां पिता ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। स्वजन कार्रवाई को लेकर अड़ गए और पोस्टमार्टम नहीं कर दिया। पुलिस ने समझाइश देकर पोस्टमार्टम के लिए शव सिविल हास्पिटल भिजवाया।

बच्ची के पिता धर्मेंद्र राठौड़ व माता सविता का कहना है कि बच्ची से एक दिन पहले ही खाना-पीना बंद करवा दिया था। वह अंतिम समय तक पानी पीने और कुछ खाना देने की गुहार करती रहीं, लेकिन हमने डाॅक्टर की बात मानकर उसे पानी तक नहीं पिलाया। फ्रेक्चर की एक मामूली घटना की बात पर जान चली जाना आश्चर्य की बात है। इसमें डाॅक्टर की गलती है। यदि केस क्रिटि‍कल था तो तत्काल ही कार्रवाई करवानी चाहिए थी।

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